Shivling: पूरे भारत में भगवान शिव के बहुत सारे मंदिर हैं. वहीं, आज हम आपको यूपीके बस्ती जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर बसा भद्रेश्वर नामक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. भद्रेश्वर भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है, जिसका इतिहास द्वापर युग का कहा जाता है. 


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इस शिवलिंग को लेकर कहा जाता है कि यह शिवलिंग दिव्य ज्योति के साथ खुद यहां प्रकट हुआ था. इसका जिक्र पुराणों में भी किया गया है. इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के लिए पूरे देश से भक्त आते हैं. यहां पर सावन और महाशिवरात्रि के वक्त भारी भक्तों की भीड़ उमड़ती है. 


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इस शिवलिंग को लेकर कहा जाता है कि लगभग 7 हजार साल पहले द्वापर युग में यह शिवलिंग दिव्य ज्योति के साथ खुद प्रकट हुआ था. शिव जी का यह मंदिर शिव धनुष के आकार की नदी के बीच स्थित है, जिसका जिक्र और पूरा वर्णन शिव पुराण में किया गया है. 


शिव पुराण के 18वें अध्याय के दूसरे दोहे कूपवाहनी शिवधनुवा अकारे, ता तटे बसे भद्रनाथ में वर्णन किया गया है. इसका अर्थ है कि यह शिवलिंग पूरी दुनिया का एक मात्र ऐसा शिवलिंग है, जो शिव धनुष के आकार की नदी के बीच है. 


लोगों की मान्यता है कि इस शिवलिंग की पूजा भगवान राम और रावण दोनों ने की थी. इसके अलावा भगवान राम के कुल गुरु महर्षि वशिष्ठ भी यहां रोज पूजा करते थे और अज्ञातवास के वक्त पांचों पांडवों ने यहां भगवान शिव का पूजन किया था. 


इस शिवलिंग को लेकर मंदिर के पुजारियों का कहना है कि जब यह शिवलिंग प्रकट  हुआ था, तो यह काफी छोटा था लेकिन आज यह विशालकाय आकार ले चुका है. कहा जाता है कि आज तक कोई भी भगवान शिव के इस शिव लिंग  पकड़ नहीं पाया है. अगर कोई शख्स इसे पकड़ने का प्रयास करता है, तो शिव लिंग का आकार खुद से ही बढ़ जाता है.  


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(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)