Rajasthan News: राजस्थान के नागौर जिले का इतिहास काफी पुराना है, जिसका प्राचीन नाम अहिच्छत्रपुर है. इस जगह का जिक्र महाभारत काल में भी किया गया है. नागौर में बहुत सारे मंदिर है, जिनकी अलग-अलग मान्यता हैं. 


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इसी तरह नागौर में भगवान गणेश का एक मंदिर है, जिसको गणेश बावड़ी कहा जाता है, जो लगभग 400 साल पुराना है. इस मंदिर को लेकर बताया जाता है कि 400 साल पहले बावड़ी की खुदाई में गणेश जी की मूर्ति मिली थी, इसके बाद यहां रहने वाले लोग उस मूर्ति को एक चबूतरे पर रखकर पूजा करने लगे. 


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यहां के लोगों का कहना है कि इस मंदिक की मान्यता है कि अगर किसी शख्स की शादी से सबंधित समस्या आ रही है, तो वह यहां बुधवार को आकर परिक्रमा करें. इससे उसकी समस्या दूर हो जाएगी. इसके अलावा नियमित बुधवार को ध्रुवा व मूंग चढ़ाएं. 


साथ ही अगर किसी दंपती को संतान नहीं हो रही है, तो वह यहां परिक्रमा देकर संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी कर सकते हैं. बस इसके लिए भक्त के मन में भगवान के लिए सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए.  


पुराने समय में नागौर के किले से कुछ दूरी पर खनन क्षेत्र का कार्य होता था, जिसमें लाल पत्थर निकलता था. इस जगह पर बड़ी संख्या में मजदूर काम करने आते थे. वहीं, मजदूरों के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए एक बावड़ी बनाने का काम शुरू किया गया. वहीं, खुदाई में भगवान गणेश की मूर्ति मिली. साल 1975 में बाढ़ आई थी, जिसकी वजह से पुरा मंदिर व बावड़ी पानी में डूब गई. इससे बावड़ी विलुप्त हो गई लेकिन गणेश जी की मूर्ति कहीं से भी खंडित नहीं हुई. 


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इसके अलावा नागौर में एकमात्र ऋण मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर गणेश बावड़ी में है. इसको लेकर कहा जाता है कि यहां भगवान शिव की रोज पूजा करने से शख्स को आर्थिक रूप से होने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है.