Shardiya Navratri 2024: कंस भी न कर सका था जिनका वध, वही कन्या हैं करौली की कैला देवी, पूरी करतीं हर इच्छा
Karauli News: करौली के कैला माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि का हर्षोल्लास के साथ आयोजन किया जा रहा है. नवरात्रि में प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु कैला माता के दर्शन कर अपनी मनौती मांग रहे हैं. नवरात्रि के दौरान कैला माता मंदिर परिसर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी लगातार हो रहा है.
कैला देवी मंदिर देवी भक्तों के लिए पूजनीय है
कैला देवी मंदिर करौली जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर स्थित एक प्राचीन मंदिर है. कैला देवी मंदिर में चांदी की चौकी पर स्वर्ण छतरियों के नीचे दो प्रतिमाएं हैं. एक प्रतिमा बाईं ओर झुकी हुइ है, जो कैला मइया के नाम से प्रसिद्व है. दाहिनी ओर दूसरी माता चामुंडा देवी की प्रतिमा है. कैलादेवी मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्व है. उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में ख्याति प्राप्त कैला देवी मंदिर देवी भक्तों के लिए पूजनीय है और यहा श्रद्वालु हर साल लाखो की संख्या मे आते है . मंदिर का निर्माण राजा भोमपाल ने 1600 ई. में करवाया था. इस मंदिर से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं.
कंस न कर सका था वध
माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव और देवकी को जेल में डालकर जिस कन्या का वध कंस ने करना चाहा था, वह योगमाया कैला देवी के रूप में इस मंदिर में विराजमान है. एक अन्य मान्यता के अनुसार पुरातन काल में त्रिकूट पर्वत के आसपास का इलाका घने वन से घिरा हुआ था. इस इलाके में नरकासुर नाम का राक्षस रहता था. नरकासुर ने आसपास के इलाके में काफ़ी आतंक मचाया हुआ था उसके अत्याचारों से आम जनता दु:खी थी. परेशान जनता ने तब माँ दुर्गा की पूजा की और उन्हें यहां अवतरित होकर उनकी रक्षा करने की गुहार की. बताया जाता है कि आम जनता के दुःख निवारण के लिये माँ कैला देवी ने इस स्थान पर अवतरित होकर नरकासुर का वध किया और अपने भक्तों को उसके आतंक से मुक्त कराया . तभी से उन्हें माँ दुर्गा का अवतार मानकर उनकी पूजा की जाती है. कैला देवी का मंदिर सफ़ेद संगमरमर और लाल पत्थरों से निर्मित है. वर्तमान में कैला देवी मंदिर कैला देवी ट्रस्ट के अधीन है, जिसके ट्रस्टी कृष्ण चंद पाल हैं.
नवरात्रि में लाखों की संख्या मे श्रद्वालु आते
कैलादेवी मंदिर में हर साल लााखों की संख्या में भक्त माता के दरवाार में ढोक लगाने आते हैं और माता भी उनकी झोली भरती हैं, इसलिये कैलादेवी में आयोजित होने वाले नवरात्रि में लाखों की संख्या मे श्रद्वालु आते हैं. कैला देवी मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों के हजारों श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं और अपने मनौती मांगते हैं और माता भी यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना को पूरा करती है.
कैला देवी मंदिर में बच्चों का मुंडन की भी अलग ही मान्यता
कैला देवी क्षेत्र में स्थित कालीसिल नदी भी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि कैला देवी मंदिर में जाने से पूर्व कालीसिल नदी में स्नान करना मुख्य है. कालीसिल नदी में स्नान के बाद ही भक्त कैला देवी के दर्शन के लिए जाते हैं. वहीं, कैला देवी मंदिर में बच्चों का मुंडन की भी अलग ही मान्यता है. कैला देवी के मंदिर में लोग अपने बच्चों का पहली बार मुंडन करवाने के लिए दूरदराज से आते हैं और मुंडन करवा कर मां को अर्पित करते हैं. मान्यता यह भी है कि अगर किसी परिवार में विवाह होता है तो नवविवाहित जोड़ा भी यहां आकर मां का आशीर्वाद लेता है और तब तक परिवार का अन्य कोई सदस्य भी मां के मंदिर तक नहीं पहुंचता है. नवविवाहित युगल के दर्शन करने के बाद ही परिवार मां के दर्शन करने के लिए आ सकता है.
मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता
नवरात्रि के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. नवरात्रि की शुरुआत कैला देवी मंदिर में राज ऋषि के सानिध्य में वेद प्रकांड पंडितों द्वारा विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ की जाती है . इस दौरान 9 दिन तक माता के अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है साथ ही वेद पाठी नव दुर्गा सप्तशती सहित अन्य वेदों का पठन करते हैं विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर माता की आराधना की जाती है इस दौरान नवरात्रि समापन पर कन्याओं को भोजन कराया जाता है. कैला माता राजराजेश्वरी के नाम से भी जानी जाती हैं.