सांगोद में कालीसिंध और परवन नदी के सैलाब के बाद अब पीछे बस रह गया तबाही का मंजर
Sangod, Kota: कोटा के सांगोद में कालीसिंध और परवन नदी के सैलाब के बाद अब पीछे बस तबाही का मंजर रह गया है.
Sangod, Kota: कोटा के सांगोद में कालीसिंध और परवन नदी में उफना पानी तो कम हुआ लेकिन अपने पीछे तबाही का ऐसा खौफनाक मंजर छोड़ गया. जिसे लोग सालों तक लोग भूला नहीं पाएंगे. पिछले साल क्षेत्र में उजाड़ नदी में आई बाढ़ से सैकड़ों परिवार बेघर हो गए. इस बार उजाड़ ने ज्यादा घरों को नहीं उजाड़ा लेकिन कालीसिंध और परवन नदी ने कई गांवों में बरबादी की. ऐसी कहानी लिख दी की नदी का पानी उतरने के बाद पीडितों ने अपने मकानों में पहुंच कर जब हालात देखे तो दिल दहल गया.
सांगोद क्षेत्र में एक अनुमान के मुताबिक करीब पांच से छह हजार घर बाढ़ से प्रभावित हुए है. भीगे अनाज, खाने पीने व गृहस्थी के सामानों को देखकर लोगों की रुलाई फूट गई. पिछले न दो दिनों से दिनभर लोग अपने तबाह आशियानों को संभालने में जुटे हुए है. बाढग्रस्त इलाको के सैंकड़ों मकान धराशायी हो गए. कुछ लोगों के लिए बाढ मुसीबत बन कर आई. आशियाने तबाह हो गए तो सिर छुपाने के लिए भी जगह नहीं बची. नदियों में आए उफान उतरने के बाद बाढग़्रस्त इलाकों में मकान ढहने के बाद लोगों का सबकुछ मलबे में दब गया है. लोग इन्हें निकालने का जतन कर रहे हैं. मलबे के ढेर में थोड़ा बहुत कुछ बचने की उम्मीद में लोग मलबे को समेटने में जुटे हुए है.
अब सहारा राज्य सरकार का
बाढग़्रस्त गांवों में कई परिवार ऐसे है जिनका सबकुछ बाढ़ ने तबाह कर दिया. खासकर मिट्टी की कच्ची दीवारे बनाकर छत पर तिरपाल डालकर अपने परिवार सहित गुजर बसर कर रहे मजदूर परिवारों के सामने रहने और खाने का संकट खड़ा हो गया है. इनमें कई परिवार तो ऐसे है जिनके पास अब नए सिरे से आशियाने बनाने तक के पैसे नहीं है. ऐसे कई परिवार अब राहत के नाम पर राज्य सरकार के आसरे के सहारे मलबे को समेटने की जद्दोजहद कर रहे है.
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