Shanti Dhariwal : गहलोत सरकार की सबको पट्टे देने की महत्वाकांक्षी योजना राजस्थान में 70 फीसदी लक्ष्य पूरा करने के बाद अब तक 7 लाख आवेदकों को उनके घर का मालिकाना हक यानि पट्टे का तोहफा दे चुकी, लेकिन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने आज कोटा संभाग के स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों और यूडीएच विभाग के अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों की एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए अब पट्टा देने के नियमों में किये व्यापक सरलीकरण के बाद संशोधित लक्ष्य को 10 लाख पट्टों के पार ले जाने का नया लक्ष्य थमाया हैं लेकिन साथ ही कोटा समेत प्रदेश की कई यूआईटी और निगम-परिषद-पालिकाओं में पट्टा वितरण लक्ष्य पूर्ति के फीसड्डी आंकङे पर खुलकर निराशा और नाराजगी का भी इजहार किया.


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एक तरफ प्रदेश में कृषि भूमि से लेकर सिवायचक जमीन तक पर बसे लोगों के लिये घर के मालिकाना हक यानि पट्टे का सपना साकार करने का गहलोत सरकार का अभियान तेजी से आगे बढ रहा हैं तो वहीं दूसरी तरफ कभी पट्टा आवेदन की पत्रवाली कहीं से गुम होने की खबर मिलती हैं कभी पट्टे के लिये आवेदकों को चक्कर कटवाने की शिकायतें आ रही हैं. ऐसे में गहलोत सरकार ने अब 10 लाख पट्टे वितरण के लक्ष्य में नियमों के व्यापक सरलीकरण का एक और बङा कदम उठा लिया हैं. अब आवेदन पत्र 6 जटिल पृष्ठों के स्थान पर केवल 1 पृष्ठ का होगा और रिहायश को साबित करने के लिये मांगे गये दस्तावेज में से किसी एक वैकल्पिक दस्तावेज से भी काम चल जायेगा. कोटा संभाग के स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों-यूडीएच के अधिकारियों और स्वायत्तशासन विभाग से जुङे जनप्रतिनिधियों के साथ कोटा में आज हुयी कार्यशाला में यूडीएच मंत्री धारीवाल ने अधिकारियों को हर योग्य आदेवक को हर हाल में पट्टा बनाकर देने की सख्त हिदायत थमायी हैं.


ये रहे फीसड्डी


धारीवाल ने इस दौरान 10 लाख के लक्ष्य के मुकाबले 7 लाख पट्टों के वितरण हो जाने पर संतोष का इजहार तो किया लेकिन साथ ही प्रदेश की कुछ यूआईटी और निगम-पालिका या परिषदों के पट्टा बनाने के फीसड्डी आंकङों पर नाराजगी और निराशा का भी खुलकर इजहार किया. धारीवाल ने गृहशहर के अधिकारियों को भी खुले मंच से फटकार लगायी और कोटा यूआईटी और दोनों नगरनिगमों के पट्टा बनाने के आंकङे गिनाते हुये इसे शर्मनाक कहा. धारीवाल ने कहा कि कोटा से कहीं छोटा अजमेर पट्टा वितरण में 86 फीसदी तो कोटा से बङा जोधपुर 75 फीसदी लक्ष्य अर्जित कर चुका लेकिन कोटा महज 57 फीसदी के आंकङे पर अटका हैं. स्टाफ की कमी वाले छोटे स्थानीय निकायों की तो बात ही क्या करें. जब बङे अफसरों के बैठने वाले निकायों के भी ये हाल हैं ?


अपने घर की छत और इसके बाद बरसों से जिस घर में रह रहे हैं,उस घर का पट्टा बन जाने का सपना आम आदमी की भावनाओं से जुङा पहलू हैं और इसीलिये यूडीएच मंत्री धारीवाल ने पट्टा वितरण के नियमों में व्यापक सरलीकरण के बाद हुयी इस पहली कार्यशाला में अधिकारियों को साफ संदेश दे दिया हैं कि पट्टा आवेदकों को टरकाने या फाइल नहीं मिलने के बहाने अब नहीं चलेंगे और मार्च 2021 तक कृषि भूमि या सिवायचक जमीन पर बसे रिहायश वाले हर शख्स को पट्टा मिलेगा. कृषि भूमि पर बसी कॉलोनी में 60 फीसदी रिहायश हैं और कॉलोनी में कम से कम 20 फीट रोङ हैं तो बिना किसी ले आउट प्लान पास के केवल सर्वे करके पट्टे दे दिया जाये और आबादी के बाहर छीतरी रिहायश में भी सर्वे करके सीधा पट्टा बनाया जाये. देखना होगा कि 10 लाख परिवारों को पट्टे देने की लक्ष्यपूर्ति की तरफ तेजी से बढ रहा गहलोत सरकार का ये महत्वाकांक्षी अभियान चुनावी साल में कांग्रेस के लिये कितना बङा ट्रंप कॉर्ड साबित होता हैं.


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