Sangod: श्राद्ध पक्ष शुरू हो चुके हैं, हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व माना गया है. इन दिनों पुत्र और पौत्र अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं. मान्यता है कि पितरों के निमित्त भोजन बनाकर कौए, गाय और ब्राह्मण को देने से पितृ प्रसन्न होकर परिवार पर कृपा बनाएं रखते हैं. गाय तो लोगों को घरों के बाहर दिख जाती हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में कौए की संख्या में कमी आने से लोगों के सामने उन्हें भोजन देने की समस्या होने लगी है. 


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हालांकि आम दिनों में दो-चार कौए लोगों को घरों की छत और मुंडेर पर नजर आ जाते है, लेकिन इन दिनों श्राद्ध पक्ष में ढूंढने से भी लोगों को कौए नजर नहीं आ रहे हैं. पहले पीपल के पेड़ या किसी अन्य स्थानों पर कौए का ठिकाना होता था, तब हाथ में भोजन लेकर कौए को आवाज लगाई जाती थी, लेकिन अब कौए दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन लोग इंतजार करते जरूर दिखाई पड़ते हैं. इंतजार के बाद भी नहीं आने पर लोग कौए के निमित्त भोजन छत की मुंडेर या मंदिर की छत पर रख परम्परा निभाते हैं.


लुप्त होते जा रहे कौए
जानकारों की माने तो बढ़ती शहरी आबादी के चलते जंगल की ओर रुख कर गए हैं, इनको खाने के लिए भी आबादी में कुछ नहीं मिलता है. साथ ही खेतों में पेस्टीसाइड खाने से मनुष्य के साथ जीव-जंतु के जीवन पर भी संकट आ गया है. हमारा इको सिस्टम गड़बड़ा गया है. पेड़-पौधों को उगाने, खेतों में फसल उगाने के लिए पेस्टीसाइड का प्रयोग ज्यादा होने से जीवों पर संकट आ गया है. पेस्टीसाइड भोजन खाने वाले जीवों के मरने के बाद जब इस जीव को गिद्ध व कौवा आदि खाते हैं तो वो भी मरने लगे हैं. इसलिए धीरे- धीरे कौए लुप्त होते जा रहे हैं.


यमराज ने कौए को दिया था वरदान
पंडितों की माने तो गरूड पुराण के अनुसार कौए को यमराज का संदेश वाहक बताया गया है. पूर्वजों को अन्न और जल कौए के माध्यम से ही पहुंचता है. कौए को भोजन कराना शुभ माना गया है. शास्त्रों के अनुसार यमराज ने कौए को वरदान दिया था कि तुम्हें दिया गया भोजन पूर्वजों की आत्मा को शांति देगा, तब से ही पितरों के निमित्त कौए को भोजन दिया जाने लगा.


Reporter: Himanshu Mittal


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