Kota News: राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के एक फैसले से कोटा की फ्लाई ऐश प्रोडक्ट निर्माण यूनिट्स पर ताला लगने की नौबत आ गई है. उत्पादन निगम के इस फैसले के नाद कोटा की 77 इकाइया बंद होने के कगार पर है, जिनमें कार्यरत 5 हजार से ज्यादा श्रमिकों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने वाला है, जिसकी वजह है फ्लाई ऐश का बन्द होना.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल कोटा के नांता इलाके में स्थित ये फ्लाई ऐश (राख) आधारित यूनिट्स 1999 से लगी हुई है, जिनमें फ्लाई ऐश से बनी हुई ब्रिक्स, इंटरलॉकिंग टाइल्स आदि बनाये जाते हैं, जिनमें थर्मल पावर प्लांट से उत्सर्जित होने वाली राख काम में ली जाती है.


यह भी पढ़ें- Nagaur News: परबतसर में मायके आई दो बेटियों को बेरहम बाप ने कुल्हाड़ी से काट डाला


केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तय नोटिफिकेशन की पालना में थर्मल द्वारा निष्काषित कुल फ्लाई ऐश में से 20 प्रतिशत राख इन यूनिट्स को दी जाती रही है. वहीं शेष 80 प्रतिशत सीमेंट कंपनियों को दी जाती है, लेकिन हाल ही में सीमेन्ट कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए एक टेंडर किया गया है, जिसमें कोटा थर्मल द्वारा निष्काषित समस्त राख को बेचा जा रहा है. इस टेंडर के बाद सम्पूर्ण राख को सीमेन्ट कंपनियां ले लेगी. ऐसे में कोटा की फ्लाई ऐश आधारित यूनिट्स को राख नहीं मिल पाएगी. 


यह भी पढ़ें- सीपी जोशी और राजेंद्र राठौड़ के बाद अब वसुंधरा राजे को मिल सकती है यह बड़ी जिम्मेदारी


 


सभी यूनिट्स पर ताला लगने की नौबत आ सकती
मामले पर जानकारी देते हुए फ्लाई ऐश एसोशिएशन के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने बताया कि इस टेंडर के बाद सभी यूनिट्स पर ताला लगने की नौबत आ जायेगी. सिंह के मुताबिक, नांता के इस रीको पर्यवरण इलाके में सरकार ने फ्लाई ऐश यूनिट्स चलाने के लिए ही ये डेडिकेटेड लैंड दी थी, जिनका अन्य उपयोग नहीं किया जा सकता है. साथ ही इन यूनिट्स पर लोगों ने करोड़ों रुपये का निवेश कर रखा है.
वहीं, कोटा फ्लाई ऐश ब्रिक्स एसोशिएशन के जिलाध्यक्ष अनिल सुवालका के अनुसार कोटा की पूरी एसोशिएशन मामले को लेकर जल्द यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से मिलकर उत्पादन निगम के सीएमडी से अपने हक की मांग करेगी अन्यथा आंदोलन की राह चुनेंगे.