Kota: स्कूल और फिर वापस घर लाने में जुटी बालवाहिनियां, टेक्सी और वैन परिवहन विभाग के मापदंडों पर पूरी तरह फेल नजर आ रही हैं बालवाहिनियां बिना फिटनेस टेस्ट पास किये ही शहर में दौड़ रही हैं. ऐसे में छोटे छोटे स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर खतरा उतपन्न हो रहा है. बालवाहिनी और वैन संचालकों की लापरवाही नौनिहालों के लिए खतरनाक हो सकती है.


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एक तरफ इन बालवाहिनियों पर ना तो कलर है, ना ही इनके पास फिटनेस प्रमाण पत्र हैं फिर भी ये तय क्षमता से कई गुना अधिक बच्चों को बैठाकर ले जा रही हैं.  छोटे छोटे बच्चों को बुरी तरह से इन बालवाहिनियो में ठूंस दिया जाता है. इतना ही नहीं इनमें से अधिकांश वाहन LPG गैस या CNG पर चलते हैं. ये किट भी परिवहन विभाग से बिना स्वीकृति लिए ही लगा दी जाती है इससे खतरा और बढ़ जाता है. भीषण गर्मी में गैस पर चल रही ये ओवरलोड गाड़ियां कभी भी आग के चलते गोले में तब्दील हो सकती हैं.


लालच के चलते वाहन संचालक इन गाड़ियों की चेकिंग समय पर नहीं करवाते और ना ही परिवहन विभाग से इसकी पीरियोडिक जांच करवाते हैं. जबकि नियम है कि प्रत्येक 3 वर्ष में इन गाड़ियों का सत्यापन और फिटनेस टेस्ट किया जाना चाहिए. कमाल की बात तो ये है कि इनमें से अधिकांशतः गाड़ियों की हालत बेहद नाजुक हैं लेकिन अपने मुनाफे के चक्कर में गाड़ी चालक इन पर कोई खर्चा नहीं करता और इन्हें जर्जर हालत में भी घसीटता रहता है.जिससे नौनिहालों की जान खतरे में रहती है. ऐसे में परिजन भी इसके लिए कई बार चिंतित रहते हैं.


हालाकिं परिवहन विभाग समय समय पर इनके लिए चेकिंग अभियान चलाता रहता है. हाल ही में कोटा परिवहन विभाग की तरफ से ऐसी बालवाहिनियों और वेन्स के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. ऐसी 45 गाड़ियों के चालान बनाये गए हैं. जिनसे 1 लाख 72 हजार रुपये का चालान भी बनाया गया है. कोटा अतिरिक्त प्रादेशिक परिवहन अधिकारी दिनेश सागर के अनुसार ऐसी बालवाहिनियां जिन पर कोई कलर नहीं है जो ओवरलोड चल रहीं है,जिनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है ऐसी तमाम गाड़ियों के खिलाफ परिवहन विभाग ने कार्यवाहियां करते हुए 45 गाड़ियों के चालान बनाये गए हैं.


परिवहन विभाग का ये अभियान लगातार जारी रहने वाला है लेकिन सवाल इस बात का है अगर किसी की लापरवाही से कोई हादसा पेश आता है तो आखिर जिम्मेदारी किसकी होगी? ऐसे में स्कूल प्रबंधनों को भी चाहिए कि वे उनके पास चलने वाली सभी बालवाहिनियों और वैन के संचालकों को पाबंद करें कि वे क्षमता से ज्यादा बच्चे इनमें नहीं भरें और गाड़ियों का फिटनेस समय समय पर करवाते रहें.


Reporter-KK Sharma


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