पति को गोद में लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गई पत्नी, रोते हुए बोली- ज्योति मौर्या नहीं हूं, जो साथ छोड़ दूं…

Wife Carrying Husband in Lap: आजकल सोशल मीडिया पर चारों तरफ उत्तर प्रदेश की SDM ज्योति मौर्या के चर्चे हैं. दरअसल बीते दिनों से ज्योति मौर्य की कहानी इंटरनेट पर चर्चा का विषय बनी हुई है. बताया जा रहा है कि ज्योति के पति ने बड़ी मुश्किल से मेहनत-मजदूरी करके बीवी को पढ़ाया लिखाया, वहीं अब ज्योति मौर्या पर आरोप है कि SDM बनते ही उन्होंने अपने पति को छोड़ दिया. ऐसी खबरों के बीच में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक ऐसी इमोशनल कहानी सामने आई है, जिसे देखने के बाद आपकी आंखें भीग जाएंगी. महिला ने अपने पति प्रेम के प्रति ऐसी मिसाल कायम की है कि जानने वाले उसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. यह कहानी है प्रियंका गौड़ की.

संध्या यादव Tue, 25 Jul 2023-7:29 am,
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रुला देगी प्रियंका गौड़ की कहानी

जानकारी के मुताबिक, प्रियंका गौड़ लवकुशनगर के परसानिया की निवासी हैं. हाल ही में वह अपने दिव्यांग पति को गोद में लेकर कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंची थी. बताया जा रहा है कि करीब 5 साल से इसी तरह से पति को गोद में लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं. बीते 18 जुलाई को भी वह अपने पति को गोद में लेकर जनसुनवाई में पहुंची थी. बताया जा रहा है कि शादी के महज एक साल बाद ही एक रोड एक्सीडेंट में प्रियंका गौड़ के पति दिव्यांग हो गए थे. वह खुद से चल नहीं पाते हैं. ऐसे में प्रियंका गौड़ ही अपने पति के लिए सहारा है. 

 

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सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं प्रियंका गौड़

अपने पति के इलाज और अनुकंपा नियुक्ति के लिए प्रियंका गौड़ सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं. वहीं, पति को गोद में उठाए प्रियंका गौर से जब कुछ जर्नलिस्ट ने सवाल किया तो उन्होंने सीधे शब्दों में कहा- मैं ज्योति मौर्या जैसी बिल्कुल नहीं हूं, जो कि अपने पति का साथ छोड़ दूंगी. मैं तो आखिरी दम तक उनका साथ दूंगी. मेरे लिए वही सब कुछ है. अपनी दुख भरी कहानी बताते हुए प्रियंका गौड़ की आंखों से आंसू तक छलक आए. 

 

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रोड एक्सीडेंट के बाद नहीं चल पाता पति

आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रियंका गौड़ की उम्र महज 23 साल है जबकि उनके पति अंशुल गौड़ की उम्र 30 साल है. इन दोनों की शादी 2017 में हुई थी. शादी के 1 साल के बाद ही एक रोड एक्सीडेंट में अंशुल गौर को पैर और कमर में काफी चोटें आ गई थी और उन्हें लकवा की बीमारी हो गई. इलाज में काफी पैसा खत्म होने के चलते इनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. वहीं प्रियंका पति के इलाज और मां के स्थान पर उन्हें अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के लिए सरकारी अधिकारियों से गुहार लगा रही है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. 

 

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पति को गोद में लेकर जनसुनवाई में पहुंची

प्रियंका गौड़ का कहना है कि वह सीएम आवास तक जा चुकी हैं लेकिन उनकी समस्या कोई नहीं सुलझा रहा है. ऐसे में वह कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में पति को गोद में लेकर मदद की आस में पहुंची थी. प्रियंका का कहना है कि अधिकारियों का कहना है कि उनकी मां अध्यापक के पद पर थी और उनके पति की योग्यता अध्यापक के लेवल की नहीं है. इसलिए अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाएगी. प्रियंका का कहना है कि उनके पति दिव्यांग है तो उन्हें बीएड डीएड कैसे करवाया जाए. मैं केवल B.A पास हूं, ऐसे में मुझे भी नियुक्ति नहीं मिल पाएगी. प्रियंका ने रोते हुए बताया कि वह अपने पति को भोपाल ले जाकर सीएम हाउस में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची थी लेकिन एक हफ्ते के बाद भी सीएम उनसे नहीं मिलने आए.

 

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6 सालों से परेशान हैं पति-पत्नी

प्रियंका का कहना है कि दोनों पति-पत्नी 5-6 सालों से बहुत परेशान हैं. उन्होंने छतरपुर जिला प्रशासन जनप्रतिनिधियों सभी से मदद मांगी लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है. उनका कहना है कि वह 5 साल से इसी तरह से पति को गोद में लेकर भटक रही हैं लेकिन कोई मदद नहीं कर रहा है. उन्होंने तो क्षेत्रीय सांसद और बीजेपी अध्यक्ष बीडी शर्मा से भी मदद की गुहार लगाई है.

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जीवन भर निभाऊंगी साथ

प्रियंका गौर ने रोते हुए बताया कि उसने अपने पति अंशुल गौड़ के इलाज के लिए अपने सारे जेवर सब भेज दिए हैं. इसके बाद उसने कई लोगों से कर्जा भी लिया. उनके पति का इलाज जारी है. ऐसे में उसे सरकारी मदद से काफी आस है. प्रियंका का कहना है कि मैं ज्योति मौर्य के जैसे नहीं हूं, जो कि एसडीएम बनने के बाद अपने पति को ही भूल गई. उसने उन्हें छोड़ दिया मैं तो आखिरी दम तक अपने पति का साथ दूंगी और उनका इलाज करवाऊंगी. वही मेरे सब कुछ है. 

 

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आर्थिक तंगी से हैं बेहाल

प्रियंका का कहना है कि अब मैं इलाज कराने लायक नहीं बची हूं. इसलिए कलेक्टर साहब से आवेदन किया है कि वह मेरे पति का इलाज कराएं. प्रियंका ने बताया कि उनके पति को सर्वाइकल पेन की दिक्कत है और हर महीने से इलाज के लिए 8 से ₹10000 की जरूरत पड़ती है. लगातार 5 सालों से इलाज करा रही हैं. मेरे पास एक कौड़ी नहीं बची है. बता दें कि अंशुल गौड़ की मां की मौत साल 2015 में एक दुर्घटना में हो गई थी. उनकी मां विकासखंड गौरिहार के ग्राम की पुरा में एक सरकारी स्कूल में अध्यापक पद पर थी. उनकी आगजनी में मृत्यु हो गई थी. अब अंशुल और उनकी पत्नी चाहते हैं कि अनुकंपा नियुक्ति मिल जाए लेकिन नहीं हो रही है.

 

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