Sangod : सरकार स्वच्छता को लेकर पानी की तरह पैसा बहा रही है. स्वच्छता का संदेश लोगों तक पहुंचाने के लिए  कई विभागों को इसके लिए भारी भरकम बजट भी दिया जा रहा है, लेकिन आयुर्वेद विभाग स्वच्छता के इस संदेश से कोसों दूर है.


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स्वच्छता में करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद सरकारी औषद्यालय पर्याप्त बजट को तरस रहा है. औषद्यालय की साफ-सफाई के लिए सरकार महज 125 रुपए प्रतिमाह का बजट देती है जो काफी कम है. पहले से ही औषद्यालय बिना चतुर्थ कर्मचारियों के भरोसे चल रहे.


औषद्यालय में सरकार की ये व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा साबित होने वाली कहावत जैसे चरितार्थ साबित कर रही है. यहां आपको बता दें कि शहरी क्षेत्र के औषद्यालयों को तो ये बजट भी नहीं मिलता. मजबूरन चिकित्सा कर्मचारियों को अपनी जेब ढीली करके सफाई व्यवस्था चलानी पड़ रही है या फिर खुद सफाई करनी पड़ रही है. वहीं कोरोना काल के बाद से तो औषद्यालयों को ये बजट भी नहीं मिल रहा. 


जेब से हो रहा खर्चा
क्षेत्र में विभाग के एक दर्जन औषद्यालय संचालित है. इनमें अधिकांश में सफाई के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं है. बजट भी इतना सा मिलता है, जिससे कर्मचारी मिलना तो दूर सफाई के संसाधन तक खरीदे नहीं जा सकते. बिना सफाई कर्मचारी खुद ही भवनों की साफ-सफाई करना कार्यरत चिकित्सकों के लिए परेशानी भरा साबित हो रहा है. साफ-सफाई के लिए इन्हें जो बजट मिल रहा है अगर इससे ज्यादा खर्च हो रहा है तो वो सम्बंधित औषद्यालय के अधिकारी को अपनी जेब से भुगतन करना पड़ रहा है.


खुद कर रहे सफाई
ग्रामीण क्षेत्र के औषद्यालय को भले ही सरकार 125 रुपए प्रतिमाह का बजट दे रही है लेकिन शहरी क्षेत्र के औषद्यालय को सफाई के लिए कोई बजट नहीं मिलता. इसमें कोई दो राय नहीं की बिना राशि से कोई व्यक्ति भवनों की सफाई नहीं कर सकता. सफाई को लेकर सरकारी निर्देश है तो चिकित्साधिकारी को अपना औषद्यालय साफ और स्वच्छ रखना है. ऐसे में चिकित्सकों को अपनी जेब से राशि खर्च करनी पड़ती है या फिर खुद को ही सफाई करनी पड़ती है.


यहां संचालित है औषद्यालय
सांगोद समेत हींगी, मोईकलां, कुंदनपुर, मंडीता, बोरीना, धूलेट, मोरूकलां, सावनभादौं, कुराड़, देवलीमांजी, खजूरी और हरिपुरा में विभाग के औषद्यालय संचालित है. बजट के अभाव में अधिकांश में सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है. सूत्रों की माने तो कोरोना काल के बाद से तो ये बजट भी औषद्यालय को नहीं मिल रहा है. सरकार ने बजट की स्वीकृति तो दी लेकिन दो साल से औषद्यालय बजट को लेकर तरस रहे है.


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