Sangod: शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू कर बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने की राज्य सरकार की मंशा सांगोद नगर पालिका क्षेत्र में सिरे नहीं चढ़ रही. हालत यह है कि सरकार की इस महत्वाकांशी योजना में यहां काम करने में बेरोजगारों में ही रुचि नजर नहीं आ रही. योजना के आगाज के साथ ही यहां नगर पालिका ने महज एक मस्टरोल जारी की, लेकिन उसमें भी आधे श्रमिक भी काम करने नहीं आ रहे. पालिका प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद भी श्रमिकों का रूझान योजना में नजर नहीं आ रहा.


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उल्लेखनीय है कि गांवों में संचालित महात्मा गांधी नरेगा योजना की तर्ज पर शहरी क्षेत्र के लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के उद्देश्य से राज्य सरकार की ओर से शहरी क्षेत्रों में भी इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू की. योजना शुरू हुई तो लोगों ने बढ़-चढ़ कर आवेदन भी किया. नगर पालिका ने भी राज्य सरकार की मंशा को सिरे चढ़ाने के मकसद से अधिकाधिक कार्यो के प्रस्ताव तैयार कर प्रत्येक वार्ड में श्रमिकों को योजना से जोडऩे के मकसद से आवेदन करवाए.


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तीन कामों में एक दर्जन श्रमिक


योजना शुरू होने के बाद रोजगार की उम्मीद में करीब साढ़े सात सौ लोगों ने आवेदन किया. सरकार की मंशानुरूप लोगों को रोजगार से जोडऩे के लिए पालिका ने रामचन्दजी माली की चक्की से सड़क किनारे निजी स्कूल तक झाड़ कटाई, नगर पालिका की गोशाला में साफ-सफाई व स्टेडियम में पुताई कार्य शुरू करवाया. साठ श्रमिकों की मस्टरोल भी जारी की गई. लेकिन तीनों कामों पर महज एक दर्जन श्रमिक काम करने आ रहे है.


योजना में सरकार की ओर से एक वर्ष में महज सौ दिन का रोजगार एक परिवार को निर्धारित किया है. एक दिन का अधिकतम पारिश्रमिक 260 रुपए निर्धारित है लेकिन वो भी जितना काम-उतना दाम की तर्ज पर. सूत्रों की माने तो एक कुशल मजदूर को बाजार में इतने समय काम करने के 400 से 600 रुपए प्रतिदिन तक मिल जाते है. ऐसे में अधिकांश बेरोजगार आवेदन करने के बाद भी योजना में काम करने से पीछे हट रहे है. नगर पालिका की ओर से योजना में रोजगार के लिए तीन काम शुरू किए है. योजना में 60 लोगों की मस्टरोल भी जारी है. लेकिन काम करने एक दर्जन श्रमिक ही पहुंच रहे है. फोन कर व्यक्तिगत श्रमिकों से संपर्क किया जा रहा है.


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