Lok Sabha Election 2024 : राजस्थान में इन बाहरी नेताओं का रहा दबदबा, जानें BJP-कांग्रेस ने किस पर खेला था दांव?
Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : राजस्थान की राजनीति में बीजेपी-कांग्रेस ने कई बाहरी नेताओं ने दांव खेला था, और जीत हासिल की थी. हम ऐसे ही नेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बाहर से आकर प्रदेश की राजनीति में लोहा मनवाया.
Lok Sabha Election 2024 : राजस्थान लोकसभा चुनाव 2024 (Rajasthan Lok Sabha Election 2024) को लेकर, बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने प्रत्याशियों का बड़े सावधानी से चयन कर रही हैं. अब तक कांग्रेस 23 और भाजपा 24 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. सूबे में लोकसभा चुनाव में टिकट बांटने का तरीका, विधानसा चुनाव के टिकट बंटवारे से बहुत अलग होता है. विधानसभा चुनाव में जहां, लोकल लीडर पर ज्यादा फोकस किया जाता है, तो लोकसभा चुनाव में किसी फिल्म एक्टर-एक्ट्रेस या खिलाड़ी को टिकट दे दिया जाता है. इसके अलावा, लोकसभा में बाहरी नेताओं पर भी दांव खेला और जीत हासिल की, जो या तो राजस्थान से नहीं थे, या संबंधित लोकभा सीट से नहीं थे.
टोंक-सवाईमाधोपुर लोसकभा सीट
बता दें, कि मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले सुखबीर सिंह जौनापुरिया पिछले दो लोकसभा चुनावों में टोंक-सवाईमाधोपुर से सांसद BJP के बने हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसी सीट से मैदान पर उतारा है. वहीं, कांग्रेस ने देवली-उनियारा विधायक हरीश मीना (Harish Meena) पर अपना दांव खेला है. बता दें, कि मीणा साल 2014 में दौसा लोसकभा सीट से BJP के सांसद रह चुके हैं. राजस्थान के पुलिस महानिदेशक रह चुके हरीश मीना, इसी लोकसभा क्षेत्र के बामनवास गांव के रहने वाले हैं. लेकिन खास बात ये है, कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने चुनाव आयोग को एक एफिडेविट दिया, जिसके मुताबिक उन्होंने खुद को जयपुर निवासी बताया था.
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट
राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बेटे वैभव गहलोत कांग्रेस ने साल 2019 में जोधपुर से चुनावी दंगल में उतारा था. लेकिन उन्हें करारी हार झेलनी पड़ी थी. पार्टी ने इस बार उन्हें जालोर-सिरोही लोकसभा सीट से टिकट दिया है.
हरियाणा के भूपेन्द्र यादव को अलवर से मिला टिकट
मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले, केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव को भाजपा ने अलवर से टिकट दिया है. बता दें, कि वो पहली बार लोकसभा इलेक्शन लड़ रहे हैं, अब तक वो राज्यसभा सांसद रहे हैं. जानकारी के अनुसार, यादव लंबे वक्त से अजमेर में रह रहे हैं. मगर भारतीय नता पार्टी ने उन पर इस बार अलवर ले दांव खेला है. बता दें, कि इससे पहले साल 2019 और 2014 के लेकसभा चुनाव में BJP अलवर से महंत चांदनाथ और बाबा बालकनाथ को चुनाव लड़वा चुकी है.
सीकर से स्वामी सुमेधानंद पर दांव
मूल रूप से सीकर का ना होने के बावजूद, बीजेपी ने स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को साल 2014 और 2019 में सीकर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़वाया. उन्होंने दोनों चुनावों में जीत हासिल की थी. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें 2024 का लोकसभा प्रत्याशी बनाया है.
दुष्यंत सिंह को मिला लगातार टिकट
राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने बारां-झालावाड़ से साल 2004, 2009, 2014 और 2019 में लगातार टिकट दे रही है, और उन्होने यहां से जीत हासिल की है. बता दें, कि दुष्यंत सिंह मूल रूप से धौलपुर के रहने वाले हैं.
बीकानेर से अभिनेता धर्मेन्द्र जीत चुके हैं चुनाव
बता दें, कि भारतीय जनता पार्टी ने साल 2004 में एक्टर धर्मेन्द्र को बीकानेर से मैदान पर उतारा था और उन्होंने यहां जीत हासिल की थी. जानकारी के अनुसार, उस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से 21 कब्जा कर लिया था. लेकिन साल 2009 में यह सीट SC कम्युनिटी के लिए के लिए आरक्षित हो गई, जिसके बाद BJP को धर्मेन्द्र का टिकट बदलना पड़ा.
टोंक-सवाईमाधोपुर से क्रिकेटर अजहरुद्दीन ने लड़ा था चुनाव
कांग्रेस ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इंडियन क्रिकेट टीम के कैप्टप रहे मोहम्मद अजहरुद्दीन को टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसबा सीट से चुनाव लड़वाया था. वह मूलत: हैदराबाद (तेलंगाना) के निवासी हैं. बताया जाता है, कि अजहरुद्दीन के लिए उनकी पत्नी संगीता बिजलानी ने भी चुनाव प्रचार किया था, लेकिन वो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनापुरिया से चुनाव हार गए थे.
बूटा सिंह ने जीता चुनाव
जालौर लोकसभा सीट से बूटा सिंह 1998 में निर्दलीय ही जीतकर लोकसभा पहुंच गए थे. यह हैरत की की बात है, कि जातिप्रेम से लिपटे राजस्थान के इस इलाके में पंजाबी बहुत कम हैं. और बूटा सिंह वहां से चार बार लोकसभा पहुंचे.
बंगारू लक्ष्मण भी राजस्थान से लड़े चुनाव
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में जालोर-सिरोही सीट SC वर्ग के लिए आरक्षित थी. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी ने मूल रूप से सिकंदराबाद (तेलंगाना) के रहने वाले बंगारू लक्ष्मण को यहां से टिकट दिया था. जिसमें उन्होंने जीत हासिल की थी. बता दें कि बंगारू लक्ष्मण साल 2000-2001 के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे.
बलराम जाखड़ बने थे लोकसभा स्पीकर
कांग्रेस के कद्दावर लीडर बलराम जाखड़ को साल 1984 में सीकर लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाया गया. सीकर से चुनाव जीतने के बाद, वो लोकसभा स्पीकर के पद पर भी रहे. बाद में कांग्रेस पार्टी ने बलराम जाखड़ को UPA सरकार (2004-2014) के दौरान MP और गुजरात का राज्यपाल भी बनाया था.
जब जसवंत सिंह दार्जिलिंग से जीते
बता दें, कि देश के उप प्रधानमंत्री और हरियाणा के CM रहे चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) भी साल 1989 में सीकर और रोहतक लोकसभा चुनाव लड़ा था, और दोनों ने जीत दर्ज की थी. इसी तरह, बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से बिलॉन्ग करने वाले जसवंत सिंह जैसलमेर-बाड़मेर और चित्तौड़गढ़ से सांसदी का चुनाव जीत चुके थे. बता दें, कि भारतीय जनता पार्टी ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग से जसवंत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था, जहां उन्होंने जीत दर्ज की थी.
सचिन पायलट ने दौसा और अजमेर से चुनाव लड़ा था
राजस्थान कांग्रेस के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने साल 2004 में दौसा से लोकसभा चुनाव जीता. लेकिन इसके बाद, साल 2009 में यह सीट SC वर्ग के लिए रिजर्व हो गई थी. वहीं, साल 2009 में पायलट ने अजमेर से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनावों में अजमेर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. टोंक का मूल निवासी ना होने के बावजूद, पायलट यहां से 2018 और 2023 चुनाव जीतकर विधायक बने.