Loksabha Election: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सात सांसदों को चुनाव में शामिल किया, जिनमें से चार जीत गए और तीन हार गए. इसके परिणामस्वरूप, इन हारे हुए सांसदों के सियासी भविष्य को लेकर उन्हें चिंता है.


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सियासी गलियारों में चर्चा:
राजस्थान के सियासी गलियारों में भी यह विचार किया जा रहा है कि इन हारे हुए सांसदों का राजनीतिक भविष्य क्या होगा. क्या भाजपा इन्हें वापस लोकसभा चुनाव 2024 में उतारेगी या कुछ और जिम्मेदारी सौंपेगी, यह सवाल 2024 के लोकसभा चुनावों के नजदीक आने के साथ लगातार उठ रहा है.


चर्चा में सांसदों की भागीदारी:
तीनों हारे हुए सांसदों नरेंद्र कुमार (झुंझुनूं), भागीरथ चौधरी (अजमेर), और देवजी पटेल (जालौर) ने प्रदेश नेतृत्व के शीर्ष नेताओं से इनके आगे के भविष्य को लेकर लगातार बातचीत की जा रही है.


बैठक में नए चेहरों का मौका:
पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन हुआ और इस बार नए चेहरों को मौका देने की भी बात हुई.


जीते गए सांसदों का संघर्ष:
राजस्थान में जीते गए सांसदों में राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बालकनाथ और राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीना शामिल हैं. इनमें से तीन सांसदों को कैबिनेट में शामिल किया गया है.   


कांग्रेस की रणनीति:
राजस्थान में कांग्रेस का पिछले दो लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी दो बार से कई सीटों पर हारे हुए नेताओं या उनके रिश्तेदारों को चुनाव टिकट देने की दिशा में विचार कर रही है. इसके बावजूद, नए साल में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति पर भी सवाल उठ रहा है.


वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है.  पिछले आम चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुए थे. चुनाव के बाद, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने केंद्र सरकार बनाई, जिसमें नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधान मंत्री बने.