Rajasthan lok Sabha election: राजस्थान समेत पूरे देश भर में लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई है. राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है और इस टक्कर से पार पाने के लिए भाजपा का मेगा प्लान दिल्ली की प्रयोगशाला में तैयार हो रहा है. राजस्थान में भाजपा ने 2014 और 2019 में 25 की 25 सीटें जीती थी अब भाजपा के पास चुनौती इसी रिकॉर्ड की हैट्रिक लगाने की है.


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पिछले साल यानी 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजे को देखते हुए पार्टी ने राजस्थान की 25 सीटों को तीन कैटेगरी में बांटा है, जिसमें 11 पूरी तरह सुरक्षित सीट है तो दूसरी जहां भाजपा को बढ़त है और तीसरी वह जहां भाजपा के लिए कहीं ना कहीं कांग्रेस या अन्य पार्टियों चुनौती पेश कर सकती है. 


कैटिगरी A एकदम सुरक्षित सीटें


कैटिगरी B जहां भाजपा को बढ़त


कैटिगरी C जो भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण


कैटिगरी A 


कैटिगरी ए के तहत वह 11 सीटें शामिल है जो भाजपा के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. इसमें जयपुर की दोनों लोकसभा सीट यानी जयपुर शहर और जयपुर ग्रामीण शामिल है. साथ ही झालावाड़, कोटा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अजमेर, पाली, जोधपुर, जालौर और राजसमंद सीट है. कोटा से सांसद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला है तो वहीं झालावाड़ से वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद है, जबकि जयपुर ग्रामीण और राजसमंद  सीट राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और दीया कुमारी के विधायक बनने से खाली हो चुकी है, लिहाजा ऐसे में इन सीटों पर नए चेहरे उतारे जाएंगे.


कैटिगरी बी


कैटिगरी बी में भाजपा ने उन सीटों को रखा है जहां पार्टी को कहीं ना कहीं बढ़त है. यह सीट गंगानगर, बीकानेर, अलवर, भरतपुर, डूंगरपुर, बाड़मेर और उदयपुर शामिल है. हालांकि गंगानगर की करणपुर सीट पर हाल ही में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है. वहीं अलवर विधानसभा सीट भी बाबा बालक नाथ के सांसद बनने के चलते खाली हो गई है, यहां से भी कोई नया चेहरा चुनावी मैदान में उत्तर सकता है. 


कैटिगरी सी


कैटिगरी सी के तहत 7 लोकसभा सीटें आती है, जिनमें धौलपुर, दौसा, टोंक, नागौर, चुरु, झुन्झनू और सीकर शामिल है. इन सीटों पर भाजपा को कड़ी मेहनत की जरूरत है. जहां नागौर सीट हनुमान बेनीवाल के विधायक बनने से खाली हो गई है तो इस सीट पर एक बार फिर हनुमान बेनीवाल की पार्टी से कोई उम्मीदवार चुनौती देने उतर सकता है, तो वहीं टोंक सचिन पायलट का गढ़ है, तो वहीं चुरु, झुन्झनू और सीकर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.