Jayal: स्थानीय ढिंढोलाव तालाब पर मंगलवार शाम को जलझूलनी एकादशी का मेला भरा गया. मेले में कस्बे के 8 मुख्य मंदिरों से भगवान की सवारी तालाब की पाल पर लाई गयी, जहां पर मंदिरों के पुजारियों ने भगवान की आरती की तथा श्रद्धालुओं ने भगवान की पूजा कर पुण्य लाभ कमाया.


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जलझूलनी एकादशी पर भरे जाने वाले मेले में कस्बे के 8 मंदिरों से भगवान की सवारी जयकारों के साथ तालाब की पाल पर लाई गयी. यहां पर मंदिरों के पुजारियों ने भगवान की आरती की तथा श्रद्धालुओं ने भगवान की पूजा कर पुण्य लाभ कमाया. ढिंढोलाव तालाब में लगने वाले मेले में महिलाओं और बच्चों की भीड़ भारी तादाद में नजर आई. 


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जलझूलनी एकादशी के अवसर पर मंदिरों से भगवान की सवारियों के निकलने से कस्बे का प्रत्येक गली-मोहल्ला हाथी घोड़ा पालकी-जय कन्हैयालाल की से गुंजायमान हो रहा था. भगवान के जयकारे लगाये जा रहे थे और सवारियों के साथ चलने वाले हरिनाम संकीर्तन करते हुए चल रहे थे. कस्बे के 8 प्रमुख मंदिरों से गाजे बाजे के साथ रेवाड़ी निकलकर अलग अलग मार्गो से ढिंढोलाव तालाब पाल पहुंची, जिनका जगह-जगह स्वागत किया गया. मेले में सैकड़ों की तादाद में भक्तों ने पहुंचकर भगवान के दर्शन लाभ लिया और पूजा-अर्चना की गई. 


भगवान को चढ़ाए गए फल
पुजारियों ने विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ भगवान की प्रतिमा को बिठाकर पूजा अर्चना की गई. मानसून की अच्छी बारिश के चलते किसानों द्वारा खेत में पके हुए फल आदि भगवान के चढ़ाकर अच्छे जमाने की कामना की गई. मेले में महिलाओं सहित बच्चों और बुजुर्ग भी मेले में पहुंचे और दर्शन लाभ लिये.


पुलिस व्यवस्था रही मुस्तैद
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी व्रत किया जाता है. पण्डित भरतकुमार ने बताया कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु-लक्ष्मी का श्रृंगार करके खूबसूरत डोले में सजाकर यात्रा निकाली जाती है, शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. जलझूलनी एकादशी के अवसर पर निकलने वाली भगवान की सवारी को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा शांति व्यवस्था बंनाने को लेकर जायल पुलिस मौके पर मुस्तैद रही.


Reporter- Hanuman Tanwar


 


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