Success Story: अनपढ़ मां ने बेटों की आंखों से देखे सपने, राजस्थान के होनहारों ने किये साकार
नागौर के भांवता गांव में यूपीएससी का रिजल्ट आते ही जश्न का माहौल हो गया जब पता चला कि यहां दो भाई कृष्णकांत कनवाड़िया और राहुल कनवाड़िया ने परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है.
Nagaur: कहते है तकलीफें इंसान को या तो तोड़ देती है या बेहद मजबूत बना देती हैं. एक महिला जिसने बचपन से मुश्किलें हालातों का सामना किया, मजबूरियों ने उसे पढ़ने नहीं दिया, लेकिन पढ़ाई की ललक को उसने खत्म भी नहीं होने दिया. ये कहानी है एक माँ की है, जिसने अपने सपनो को अपने बच्चों की आंखों से पूरे होते देखा. बच्चों ने भी अपनी माँ को सफल होकर वो तोहफा दिया जिसे देख कर हर कोई कह उठता है, तोहफा हो तो ऐसा.
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने जब इस वर्ष सिविल सेवा परीक्षा, 2021 का परिणाम घोषित किया तो परिणाम जारी होने के बाद सफल होने वाले युवाओं के सपनों को पंख लग गये, वहीं जिन्होंने सफलता नहीं पाई है, वे एक बार फिर बेहतर परिणाम की आशा में तैयारीयों में जुट गये. परिणाम जारी होने के बाद से लगातार ही सफल उम्मीदवारों की सफलता की प्रेरणास्पद कहानी सामने आ रही है. ऐसी ही एक कहानी राजस्थान के नागौर जिले से भी सामने आई है. यहां दो सगे भाइयों ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त करके अपनी अनपढ़ मां के सपने को पूरा किया है.
कृष्णकांत कनवाड़िया और राहुल कनवाड़िया ने पाई सफलता
नागौर के भांवता गांव में यूपीएससी का रिजल्ट आते ही जश्न का माहौल हो गया जब पता चला कि यहां दो भाई कृष्णकांत कनवाड़िया और राहुल कनवाड़िया ने परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है. गांव वाले खुशी से पागल गये, कृष्णकांत और राहुल को बधाईय देने वालों का तांता लग गया.कृष्णकांत कनवाड़िया ने सिविल सेवा परीक्षा, 2021 में 382वीं और उनके छोटे भाई राहुल कनवाड़िया ने 536वीं रैंक प्राप्त की है. दोनों ही भाई पेशे से डॉक्टर है. कृष्णकांत ने चौथे प्रयास में तो वहीं, राहुल ने अपने दूसरे प्रयास में इस सिविल सेवा परीक्षा को पास किया है.
मां नहीं जानती पढ़ना पर शिक्षा का महत्व जानती है
कृष्णकांत कनवाड़िया और राहुल कनवाड़िया दोनों की ही प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल से हुई है. उनके पिता हिरालाल कनवाड़िया सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य है, वहीं मां पार्वती देवी अनपढ़ हैं, लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. बचपन में पार्वती देवी अपनी मजबूरीयों के चलते पढ़ नहीं पाई थी, लेकिन अपने बच्चों के लिए उन्होंने अपनी मजबूरी को अपनी हिम्मत बना दिया. पार्वती देवी ने अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए हर सुविधा मुहैया कराई. शुरू से ही उन्हें अपने अनपढ़ होने की कसक थी, लेकिन एक माँ का सपना था कि उनके बच्चे अफसर बनें और जब बच्चे अफसर बन गये तो मां को लग रहा है, उसका जीवन सफल हो गया. उनका सपना था कि बच्चों को अफसर बनाउंगी।
2015 में देखा था सिविल सेवा का सपना
मां का सपना था कि बच्चों को अफसर बनाउंगी. कृष्णकांत कनवाड़िया ने साल 2015 में ही सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने के मां के सपने को अपना बना दिया. उसके बाद दिल्ली आ कर दोनों भाइयों ने सेल्फ स्टडी की मदद से अपनी तैयारी की और परीक्षा देकर उसमे सफलता भी प्राप्त की.
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