MERTA- मेड़ता उपखंड के कुरड़ायां ग्राम की बुध मिश्री रूप सुकून गौशाला में  श्रीमद् भागवत कथा आयोजन किया गया. इस अवसर पर  राम धाम खेड़ापा के पीठाधीश्वर पुरुषोत्तम दास भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि, मानव जीवन की उत्पत्ति एवं सृष्टि की रचना को जाने बिना मानव जीवन को सार्थक बनाना संभव नहीं. मानव जीवन में कर्म - वचन एवं कर्तव्यों का महत्व जाने बिना आत्म शांति प्राप्त नहीं की जा सकती. मानव जीवन का धरती पर आना आवश्यक क्यों था, इसे जानने के लिए संत महात्माओं के सानिध्य में रहकर सत्संग के माध्यम से हमें मानव जीवन की संरचना एवं सार्थकता का ज्ञान मिल सकता है.


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राजा महाराजाओं के समय आश्रम व्यवस्था से संतो और ऋषि मुनियों  के जरिए  गुरु शिष्य की परंपरा निभाते हुए, मानव जीवन के उद्देश्य के साथ-साथ कई कलाओं से निपुण कर समाज सेवा का ज्ञान दिया जाता था. भगवान ब्रह्मा  के जरिए मानव सृष्टि की संरचना मनु एवं शतरूपा से की थी. उन्होंने बताया कि मानव जीवन के मांगलिक कार्यों को पूर्ण करते समय मांगलिक विधियों को विधिवत पूर्ण करना आवश्यक होता है.  मानव कल्याण के रास्ते पर चलते हुए, अपने जीवन की सार्थकता को पहचानने का प्रयास सदैव किया जाता रहना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, मानव जीवन की उत्पत्ति और उसकी सार्थकता को जानने के लिए मनुष्य को सत्संग में जाकर मानव सृष्टि की संरचना की जानकारी संतों के सानिध्य में रहकर प्राप्त की जा सकती है. यह उद्गार बुध मिश्री रूप सुकून गौशाला में आयोजित भागवत कथा के दौरान राम धाम खेड़ापा के पीठाधीश्वर पुरुषोत्तमदास महाराज ने कहे . उन्होंने कहा कि मानव की उत्पत्ति क्यों हुई और वह धरती पर क्यों आया यह जानने के लिए सत्संग में जाकर यह जानने का प्रयास अवश्य करना चाहिए.


 इस अवसर पर सजन दास महाराज, जोधपुर चिड़िया धूणा नाथ संप्रदाय के संत डॉक्टर योगी गिरधर नाथ महाराज , संत हापुर नाथ महाराज सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहें.


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