Nagaur, merta: नागौर जिले के मेड़ता शहर का रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे जोधपुर मंडल की अपेक्षा और अनदेखी के चलते 72 साल पश्चात भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है. रेल परिसर में चारों तरफ फैली गंदगी, बदहाल रेलवे क्वार्टर, नगण्य यात्री रेल सुविधाएं मेड़ता शहर वासियों के लिए अभिशाप बनने के साथ-साथ विकास कार्यों में बाधक बनती जा रही है. रेल लाइन का विस्तार नहीं होना मेड़ता के पर्यटन और औद्योगिक क्षेत्र में असर डाल रहा है.


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उत्तर पश्चिम रेलवे जोधपुर मंडल का मेड़ता सिटी रेलवे स्टेशन अपनी स्थापना के 72 साल पश्चात अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है. 72 साल का समय कम नहीं होता बचपन और यौवन के बाद बुढ़ापे की दहलीज के 72 सावन देख चुके मेड़ता सिटी रेलवे स्टेशन के प्रति रेलवे की अनदेखी और उपेक्षा पर किसी शायर की यह पंक्तियां सही साबित होती है कि मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है.


1951 में जुड़ी रेल सुविधा


आजादी से पहले परगना ( जिला ) रहे मेड़ता शहर को 1951 में रेल सुविधा से यह सोच कर जोड़ा गया था कि वक्त के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भक्त शिरोमणि मीराबाई की इस पावन जन्मस्थली एवं पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को रेल सुविधा उपलब्ध कराते हुए पर्यटन स्थल बनाया जाए. मगर उत्तर पश्चिम रेलवे जोधपुर मंडल एवं केंद्र सरकारों की उपेक्षा और अनदेखी के चलते आज भी मेड़ता रेलवे स्टेशन अपने विस्तार को तरस रहा है. 


मेड़ता रेल विस्तार नहीं होने से जहां एक और पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिल पाया तो वहीं दूसरी हो व्यापारी एवं औद्योगिक विकास की संभावनाओं के सामने भी परेशानियां खड़ी होने लगी है. लंबे समय से मेड़ता पुष्कर रेल लाइन के लिए प्रत्येक वर्ष बजट में घोषणा कर मेड़ता शहर वासियों और श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ किया जाता रहा है. 


रेल अधिकारी कर रहे अनदेखी 


रेल अधिकारियों की अनदेखी का आलम यह है कि आज मेड़ता सिटी रेलवे प्लेटफार्म पर आवारा जानवरों, मनचलो, नशेड़ियों, शराबियों का बोलबाला है लोग रेलवे स्टेशन का उपयोग सार्वजनिक स्थान के रूप में करते हुए अपने वाहनों को सरपट दौड़ाते देखे जा सकते हैं. गंदगी के आलम के बीच टूटे-फूटे शैड में महज कुछ रेल टिकटों की बिक्री के लिए लगाए गए दो रेलकर्मी रेलवे स्टेशन होने का प्रमाण है. 


रेलवे स्टेशन परिसर के चारों ओर उगी बड़ी-बड़ी घास और हर जगह पडी शराब की खाली बोतले रेलवे स्टेशन के हालात बयां करने को काफी है. रेल अधिकारियों की अनदेखी के चलते रेल सुविधाओं के अभाव में मेड़ता सहित आसपास के 200 से अधिक गांव के लोगों को मजबूरन सड़क मार्ग से यात्रा पूरी कर रेल यात्रा के लिए 15 किलोमीटर दूर मेड़ता रोड या रेन तक का सफर तय करना पड़ रहा है.



रेलवे स्टेशन का विस्तार इस लिए है जरूरी


मेड़ता रेलवे स्टेशन का विस्तार क्यों है जरूरी यह जानना हम सबके लिए आवश्यक है, यदि देखा जाए तो पर्यटन की दृष्टि से मेड़ता में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भक्त शिरोमणि मीराबाई की ऐतिहासिक जन्मस्थली होने के साथ-साथ चमत्कारी चारभुजा नाथ भगवान का भव्य मंदिर स्थापित है यहां से 65 किलोमीटर दूर विश्व विख्यात पुष्कर सरोवर और ब्रह्मा मंदिर है. औद्योगिक दृष्टि से मेड़ता में देश की दूसरी सबसे बड़ी जीरा एवं मूंग की कृषि मंडी स्थापित है जहां देश विदेश के व्यापारी प्रतिवर्ष अरबों रुपए के व्यापार के लिए मेड़ता पहुंचते हैं. प्रशासनिक दृष्टि से मेड़ता में उपखंड कार्यालय होने के साथ-साथ जिला एवं सेशन न्यायालय होने से लोगों को आवागमन की सुविधाओं की नितांत आवश्यकता होती है.


 


क्या कहते हैं अधिकारी


1. भागीरथ चौधरी तहसीलदार मेड़ता  का कहना है  कि मेड़ता शहर बहुत पुराना शहर है धार्मिक और पर्यटन एवं औद्योगिक नजरिए से महत्वपूर्ण भी है मगर रेलवे की कनेक्टिविटी नहीं होना चाहिए पर्यटन क्षेत्र को जितना फायदा होना चाहिए उतना मिल नहीं रहा. मेड़ता रेलवे स्टेशन का विस्तार होता है तो आमजन के साथ-साथ पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा मिल सकेगा.


2. राम रतन चौधरी ईओ नगर पालिका मेड़ता ने कहा कि मेड़ता नगरपालिका क्षेत्र में रेलवे स्टेशन की स्थापना 1951 में हुई इसके पश्चात कोई विस्तार नहीं हुआ. वर्तमान में रेलवे स्टेशन की स्थिति बहुत ही दयनीय बनी हुई है मेड़ता में दो चीजें बहुत महत्वपूर्ण है पहली अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मीरा मंदिर में दूसरी यहां की कृषि मंडी जिसकी वजह से व्यापार चलता है. रेल का विस्तार होने से जहां एक और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तो वहीं दूसरी ओर व्यापारिक सुविधा बढ़ने से व्यापार के नए आयाम स्थापित हो सकेंगे. रेलवे विस्तार के लिए नगर पालिका की ओर से हर संभव सहयोग को नगरपालिका तैयार है.


3. अमित टाक समाजसेवी बताते हैं कि रेलवे स्टेशन को 72 साल हो गए रेलवे स्टेशन दुर्दशा का शिकार है ना तो यहां यात्रियों को सुविधाएं मिल पा रही हैं स्टेशन जुआरियों -नशेड़ियों का अड्डा बन गया है रेल विस्तार से दशा सुधर जाए तो पता नहीं.


वहीं एक ग्रहणी रंजना दाधीच ने कहा कि  मेड़ता रेलवे स्टेशन को देखा जाए तो 1951 में स्थापना के पश्चात आज 72 साल हो चुके हैं . मेड़ता में संचालित डेमो ट्रेन की वजह से महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. महिलाओं को रेल यात्रा के लिए एक हाथ में बच्चा और दूसरे हाथ में सामान लेकर रेल यात्रा के लिए मेड़ता रोड या रेल रेलवे स्टेशन तक का सफर बस में करके स्टेशनों पर ट्रेन का घंटों इंतजार करना पड़ता है. मेड़ता रेल लाइन का विस्तार होने से महिलाओं को रेल सुविधा का लाभ मिल पाएगा.


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