नागौर के ईनाणा का सपूत सरहद पर शहीद, 3 मार्च को ही छुट्टी पर आने वाले थे भारमल
Nagaur News: नागौर जिले के मूण्डवा तहसील के ईनाणा निवासी 617 ईएमई बटालियन हवलदार भारमल ईनाणियां का सिक्किम के थेंगु में ड्युटी के दौरान हृदय गति रुकने से बेहोश हो गए. अस्पताल ले जाएगा तो वो जिंदगी को अलविदा कह चुके थे.
Nagaur News: नागौर जिले के लाल ने देश के लिए शहादत दी है, नागौर जिले के मूण्डवा तहसील के ईनाणा निवासी 617 ईएमई बटालियन हवलदार भारमल ईनाणियां का सिक्किम के थेंगु में ड्युटी के दौरान हृदय गति रुकने से बेहोश हो गए.
वहीं, घायल अवस्था में सेना के अस्पताल ले जाया गया. जहां पर हवलदार भारमल ईनाणियां ने शहादत दे दी. जानकारी के अनुसार नागौर जिले के ईनाणा निवासी भारतीय सेना के 617 ईएमई बटालियन में हवलदार के पद पर तैनात थे. सोमवार को थेंगु सिक्किम में ड्युटी के दौरान अचानक हृदय गति रुक जाने से वीर गति को प्राप्त हो गए.
वहीं शहादत की सूचना मिलते ही गांव में शौक की लहर दौड़ पड़ी. वहीं, आज शहीद हवलदार भारमल ईनाणियां का पार्थिव देह गंगटोक से कोलकाता आएगा और फिर हवाई मार्ग से जयपुर पहुंचेगा. इसके बाद सड़क मार्ग से गुरुवार को पार्थिव देह सुबह शहीद हवलदार भारमल ईनाणियां के पैतृक गांव ईनाणा पहुंचेगा. जहां राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार.
तीन मार्च को आने वाला था भारमल गांव
जानकारी के अनुसार शहीद भारमल ईनाणियां तीन मार्च को अपने गांव ईनाणा होली की छुट्टी लेकर आने वाले थे, लेकिन 27 फरवरी को सुबह अचानक सिक्किम के थेंगु में ड्युटी के दौरान हृदय गति रुक जाने से वीर गति को प्राप्त हो गए. वहीं शहीद हवलदार भारमल ईनाणियां पिछली बार 5 सितंबर 2022 से 2 अक्टूबर 2022 तक अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने गांव आये थे.
दो बच्चों के सर से उठा पिता का साया
शहीद हवलदार भारमल ईनाणियां परिवार में सबसे छोटे थे. शहीद भारमल ईनाणियां के पिता हरसुखराम का भी काफी समय पहले निधन हो गया था. एक बड़ा भाई कानाराम जो कि विकलांग है. शहीद हवलदार भारमल ईनाणियां के दो छोटे बच्चे हैं एक लड़का 10 वर्ष का और छोटी लड़की 3 साल की है. वहीं, भारमल के शहादत की खबर सुनते ही शहीद की बुढ़ी मां और पत्नी को रो रो कर बुरा हाल हो गया है.
गांव के सरकारी स्कूल से की शिक्षा प्राप्त
हवलदार शहीद भारमल ईनाणियां ने अपनी 12वी तक की शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से की थी. पढ़ाई में भी शुरुआत से ही होशियार थे. बचपन से ही भारतीय सेना में जाने की चाहत थी. बचपन में जब भी चोर सिपाही खेलते तो खुद सिपाही ही बनते थे और जब गांव से होकर भारतीय सेना की गाड़ियां निकलती तो कहता एक दिन मैं भी फौजी की ड्रेस में ऐसे गाड़ी लेकर आऊंगा. वहीं, गांव में ही 12वी के बाद सेना की भर्ती के लिए तैयारी शुरू कर दी और 2011 की आर्मी सेना भर्ती में शामिल हो गए.
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