Nagaur news: मायड़ भाषा राजस्थानी के 24 साहित्यकारों का हुआ सम्मान, दर्जन भर पोथियों का किया गया लोकार्पण
Nagaur news: राजस्थान में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति साहित्यकार सम्मान महोत्सव का आयोजन हुआ मायड़ भाषा राजस्थानी के 24 साहित्यकारों का सम्मान किया गया, महोत्सव में 51000 का रूपचंद समदड़िया राजस्थानी विशेष सेवा शिखर सम्मान डॉ. देव कोठारी को दिया गया.
Nagaur news: राजस्थान के नागौर जिले में जायल उपखण्ड के ग्राम डेह में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति तथा नेम प्रकाशन, डेह के संयुक्त तत्वावधान में साहित्यकार सम्मान महोत्सव का आयोजन हुआ मायड़ भाषा राजस्थानी के 24 साहित्यकारों का सम्मान किया गया महोत्सव में 51000 का रूपचंद समदड़िया राजस्थानी विशेष सेवा शिखर सम्मान साहित्यक सम्मेलन में डॉ. देव कोठारी को दिया गया. भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति तथा नेम प्रकाशन डेह के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को डेह में आयोजित ''साहित्यकार सम्मान महोत्सव'' के मुख्य अतिथि एवं राजस्थानी के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर अर्जुनदेव चारण ने व्यक्त किए.
प्रोफेसर चारण ने कहा कि राजस्थानी मान्यता की मांग में साहित्यकारों का कोई स्वार्थ नहीं है, ना ही लालच है यह मांग तो राजस्थान के आम युवा की रोजी-रोटी के लिए है. साहित्यकार तो अपना फर्ज समझकर समाज को सजग करने का कार्य कर रहा है. कार्यक्रम की सफलता हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुभकामना संदेश प्रेषित कर सम्मानित साहित्यकारों को बधाई दी तथा आयोजक संस्थान के प्रयासों की सराहना भी की.
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कार्यक्रम अध्यक्ष एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर देव कोठारी ने कहा कि यह प्रदेश का सबसे बड़ा भाषा जलसा है. उन्होंने मातृभाषा मान्यता एवं साहित्य संवर्द्धन से होने वाले फायदों की बात करते हुए कहा कि मातृभाषा से ही मातृ संस्कृति एवं संस्कारों का संरक्षण संभव है. मातृभाषा मनुष्य को जड़ों से जोड़े रखने का उत्तम माध्यम है. इस लिए मातृभाषा मान्यता आम आदमी के अस्तित्व हेतु आवश्यक है. विशिष्ट अतिथि मीठेश निर्मोही ने आज के राजस्थानी साहित्य सृजन की सराहना करते हुए विदेशी भाषाओं से राजस्थानी अनुवाद की आवश्यकता पर बल दिया.
अतिथि श्री अरुण प्रकाश गुप्ता (पूर्व प्रांतपाल रोटरी) ने साहित्यिक पुरस्कारों की सामाजिक उपादेयता पर बोलते हुए कहा कि किसी सच्चे साहित्यकार का सम्मान करना अपनी संस्कृति का सम्मान करने जैसा है. अपने भविष्य को सुखद एवं सुरक्षित बनाने हेतु ऐसे सम्मान समारोह आवश्यक है. विशिष्ट अतिथि एवं राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी बीकानेर के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रतनू ने डेह समारोह को मातृभाषा का महाकुंभ कहते हुए आयोजकों की भूरि-भूरि प्रसंशा की. उन्होंने कहा कि मायड़ भाषा के विकास में जीवनमूल्यों का बचाव सम्मिलित है.