Nagaur News:डीडवाना जिले के मौलासर पंचायत समिति क्षेत्र के झाड़ोद गांव में वसुंधरा राजे सरकार में पीएचसी की सौगात मिली, तो ग्रामीण बेहद खुश थे की उन्हे अब गांव में ही चिकित्सा सुविधाएं मिलने लगेगी और इलाज के लिए जिला मुख्यालय या मौलासर और कुचामन नहीं जाना पड़ेगा.


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लेकिन ग्रामीणों का यह सपना ही रह गया. उन्हे आज भी इलाज के लिए मजबूरन दर दर भटकना पड़ता है. क्योंकी बीते तीन साल से गांव में चिकित्सक का पद खाली पड़ा है और एक नर्स के भरोसे यह अस्पताल संचालित हो रहा है, जिससे ग्रामीणों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाए भी नहीं मिल पाती है. 



सरकार की मंशा भले ही ग्रामीण क्षेत्र और दूर दराज तक चिकित्सा और स्वास्थय सेवाए देना रही हो लेकिन पद खाली होने से फायदा नही मिल रहा. झाड़ोद गांव में बने इस पीएचसी में वर्तमान में एक चिकत्सक का पद स्वीकृत है वो भी खाली है, तो अस्पताल में एक में नर्स और एक लैब टेक्नीशियन का पद स्वीकृत है वो भी लंबे समय से खाली पड़ा है. 



पीएचसी में वर्तमान में एक नर्स ही यहां आने वाले मरीजों को दवाई देकर काम चला रही है. यहां नियमित चिकत्सक पदस्थ नहीं होने से मरीजों को सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए शहर के डाक्टरों की शरण में जाना पडता है. वहीं गंभीर बीमारियों के लिए जिला अस्पताल डीडवाना के साथ साथ कुचामन और मौलासर जाकर इलाज कराना पडता है.इससे आम लोगों को परेशानी हो रही है.



स्थानीय लोगों ने बताया कि जिला मुख्यालय और बड़े शहरों से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भी गांव से होकर निकलता है जिस पर आए दिन हादसे होते रहते है, लेकिन उनके प्राथमिक उपचार तक की व्यवस्था झाड़ोद पीएचसी में नहीं है.इसके चलते घायल व्यक्ति तहसील चिकित्सालय पहुंचते-पहुंचते रास्ते में दम तोड़ देते हैं.ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है की गांव में जल्द से जल्द चिकित्सक का पद भरा जाए.



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