Nagaur: नागौर के डेगाना के रहने वाले दुर्गाराम मूवाल ने समाज और शिक्षा के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा लेकर शिक्षा जगत में कदम रखा था. डेगाना नगर पालिका क्षेत्र की वार्ड संख्या 7 में निवास करने वाले दुर्गाराम मूवाल ने शिक्षक की नौकरी को केवल जीवन उपार्जन का माध्यम ना बनाकर, बच्चों के भविष्य को तराशने को जीवन का लक्ष्य मानकर शिक्षा जगत में कदम रखा था. उदयपुर जिले के पारगियापाड़ा गांव की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में तृतीय श्रेणी अध्यापक पद पर कार्यरत होने वाले दुर्गाराम मूवाल उस आदिवासी क्षेत्र के बच्चों के जीवन में एक नया प्रकाश लेकर आए. 


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आज दुर्गाराम मूवाल उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र में गरीब बच्चों के लिए मसीहा बन गए हैं. दुर्गाराम ने क्षेत्र के 400 बच्चों को बाल श्रम और बाल तस्करी से बचाकर मुख्यधारा से जोड़ते हुए, उन्हें विद्यालय तक लाने एवं शिक्षा से जोड़े रखने के लिए किए गए अथक प्रयासों के चलते उन्हें दूसरी बार राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा गया. 15 वर्ष पूर्व बाल श्रम से बच्चों को बचाने के लिए चलाई गई मुहिम अब उनका मिशन बन चुकी है. इतना ही नहीं दुर्गाराम मूवाल के द्वारा 2121 बच्चों को एक साथ सामूहिक रूप से योग करा कर, 2015 में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था. उनकी इन्हीं उपलब्धियों को देखते हुए, उन्हें दूसरी बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया.दुर्गाराम शिक्षक की भूमिका निभाते हुए जहां एक ओर विद्यालय में अध्यापन को प्राथमिकता दी, तो वहीं सामाजिक सरोकार निभाते हुए, बाल श्रम एवं बाल तस्करी से 400 बच्चों रेस्क्यू किए गए 400 बच्चों में से 250 से ज्यादा बालिकाएं है.


शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू से सम्मानित होकर अपने पैतृक गांव डेगाना लौटने पर सगे संबंधी और दोस्तों द्वारा राजस्थानी परंपरा अनुसार साफा व माला पहनाकर स्वागत करते हुए दुर्गाराम को गाजे-बाजे के साथ रेलवे स्टेशन से घर तक लाया गया. इस दौरान प्रदेश में जिसने भी दुर्गाराम मूवाल के बारे में सुना उसने यही कहा कि आज के समय में शिक्षक हो तो मूवाल जैसा. 


Reporter - Hanuman Tanwar


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