khinvsar: नागौर जिले के खींवसर के नारवा गांव के स्थित कुम्हारों के बास में जैन धर्म के संत मनीष मुनि महाराज ने किए प्रवचन इस अवसर पर महाराज ने कहा कि महाराज ने उत्तम तप धर्म की चर्चा करते हुए कहा कि अपनी इच्छाओं का त्याग करना ही तप है. तप यानि अपने मन को वश में करना है. तप के द्वारा ही व्यक्ति अपने विषय वासनाओं पर काबू प्राप्त कर सकते हैं जो तप इच्छाओं को त्याग कर किया जाता है. स्वार्थ की भावना नहीं रहती है.


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वहीं पर व्यक्ति परम पद को प्राप्त कर सकता है जो व्यक्ति जितना अधिक तप करेगा. वह व्यक्ति उतना अधिक चमकेगा प्रकाशित होगा, जिस प्रकार सोना को जितना पीटा जाता है उतना अधिक चमकता है. सुंदर लगता है, तप इच्छाओं की वृद्धि ना करने का मार्ग है. साथ ही बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने अपनी इच्छाओं का निरोध कर तप किया और साधना का मार्ग अपनाकर ही अपने जीवन को सफल बनाया मनुष्य अपनी अज्ञानता और स्वार्थ की भावना को त्याग कर तप करेगा तभी निराकुलता को प्राप्त कर सकता है. 


ग्रामीण मौजी राम प्रजापत ने बताया कि संत मनीष मुनि महाराज अपने चतुर्मास के लिए बिरलोका जा रहे थे. इस दौरान नारवा गांव में आगमन पर एक दीवसय धर्म सभा आयोजित कि गई. आयोजित कार्यक्रम में संत ने किए प्रवचन इस दौरान संत मनीष मुनि महाराज ने धर्म सभा में मौजूद ग्रामीणों और महिलाओं को बताया कि मनुष्य को कुछ समय निकालकर धर्म और आराधना करनी चाहिए धर्म बचेगा तभी आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहेगी. वहीं इस मनुष्य जीवन में माता पिता की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है.


यह सेवा कई जन्मों-जन्म तक इस सेवा का फल मिलता है और कई जन्म अच्छे होते हैं. वही संत ने बताया कि बुढ़ापा हर मनुष्य को आना निश्चित है. ऐसे में अपने बच्चों को ऐसा संस्कार देना है. इस दौरान सेवा साधना शिक्षा भगवान का ध्यान करना यह मनुष्य जीवन में ही ऐसा अवसर मिलता है. इस अवसर पर ग्रामीण मूलाराम सुखाराम प्रजापत मोतीराम तीला राम दर्जी गौतम राम मनोहर प्रजापत ईश्वर लाल सोहन राम सुतार अनराज चंद्रशेखर गॉड सहित कई ग्रामीणों ने भाग लिया.


Reporter: Damodar Inaniya