Pali: पाली शहर में पिछले छह महीने से सड़क बनाने के नाम पर खोद कर रखी गई कई जगह तो अभी भी खुदी पड़ी हैं. हर दिन लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं. शहर का व्यस्तम मार्ग होने से लोडिंग टेम्पो और ऑटो भी पलट चुके हैं लेकिन ना तो नगर परिषद के जू रेंगी और न प्रशासन ने मामले को लेकर कदम उठाया.


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ठेकेदार की लापरवाही का भुगतान आम आदमी भुगत रहा है. नया गांव सड़क हो या मंडिया हर तरफ मिट्टी धूल और गड्ढे हैं. विकास के नाम पर टूटी सड़कों को देखकर हर कोई ठगा सा महसूस कर रहा है. पाली शहर के बीच शौर्य पथ 5 साल पहले घोषित हुआ लेकिन धरातल पर कभी निर्माण पूरा नहीं हुआ. इस बार नगरपरिषद ने काम तो शुरू करवाया लेकिन जलदाय विभाग , बिजली विभाग को साथ नहीं लिया. नतीजन ठेकेदार ने सड़क को खोद तो दिया लेकिन बीच बीच मे पानी की पाइप लाइन ,टेलीफोन की लाइन और बिजली की लाइन आने से काम रोकना पड़ा.


हर दिन धूल मिट्टी उड़ने से सड़क किनारे दुकानदारों के साथ मकान मालिकों को भी खामियाजा भुगतना पड़ा. पूरी दुकान व घर धूल मिट्टी से भर जाते. कई बार दुकानदारों ने स्थानीय पार्षद के साथ मिलकर रास्ता भी जाम किया. धरना प्रदर्शन भी किया लेकिन सिवाय आश्वाशन के अलावा कुछ नहीं मिला.


आज भी सड़क खुदी पड़ी हैं यही हाल मंडिया रोड़ का है. उड़ती मिट्टी से वाहन चालकों भी परेशान हो रहे हैं. वहीं आज भी नया गांव रोड पर ट्रैक्टर मिट्टी के धंस गया. लोगों से जब इस पर बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. खास बात ये की बारिश के दिनों में हालात और खराब हो जाते हैं. नहर से बारिश का पानी लोड़िया बांध में जाता था. ठेकेदार ने यहां भी लापरवाही बरती. नहर को तोड़कर सड़क तो बना दी लेकिन उसके नीचे पानी निकासी के लिए कोई भी तरह का पाइप नहीं डाला गया. 


बारिश के दिनों में बांध में पानी नहीं आएगा और वो पानी सीधा कॉलोनियों में भरेगा. जिससे कॉलोनी डूबने के भी डर रहेगा. लेकिन आमजन की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है. जब जी मीडिया मामले को कवर करने पहुंचा तो दुकानदारों ने बताया कि पिछले तीन महीने से वह परेशान हैं. सड़क के साथ गड्ढा खोदकर रख दिया गया. बारिश का मौसम आने वाला है और अभी तक पुल का पता नहीं है. पानी की पाइप तोड़ तो दी लेकिन वापस नहीं बिछाई गई. टेलीफोन की लाइन टूटी पड़ी है. हर दिन वाहनों का जाम लगता है. ठेकेदार कभी पानी की पाइप लाइन बहाना बताकर काम रोक देता कभी बिजली की लाइन को लेकर काम रोक देता है.


कई लोग हादसे का शिकार होकर अस्पताल में भर्ती हो गए हैं. जब नगरपरिषद में सभापति से उनका पक्ष जानने के लिए गए तो वह कार्यालय में नहीं मिले और फोन पर बात करने की कोशिश की तो उनका नंबर बन्द आ रहा था.


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