Jaipur: 296 साल का हुआ जयपुर, पानी की कमी के कारण राजा ने बसाई थी गुलाबी नगरी

Jaipur Foundation Day: दुनिया भर में अपने सांस्कृति के लिए एक अलग पहचान रखने वाले जयपुर का 18 नवंबर को स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. इस अवसर पर कई सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

जी राजस्थान वेब टीम Sat, 18 Nov 2023-12:08 pm,
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गुलाबी नगरी

Jaipur: 18 नवंबर को राजस्थान की राजधानी जयपुर की स्थापना दिवस मनाई जाती है. आज जयपुर शहर पूरें 296 साल की हो चुकी है. दुनिया भर में अपने सांस्कृति के लिए एक अलग पहचान रखने वाले जयपुर को गुलाबी नगरी, कला नगरी और सांस्कृतिक की नगरी भी कहा जाता है. खूबसूरत जयपुर शहर को तीनों ओर से घेरा हुआ अरावली पर्वतमाला और भी आकर्षित बनाता है. 

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आपणो जयपुर

जयपुर स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर नगर निगम हैरिटेज के द्वारा 18 और 19 नवंबर को 'जयपुर स्थापना दिवस समारोह-2023' का आयोजन किया जा रहा है. इसके साथ ही स्थापना दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रमों जैसे 'आपणो जयपुर' कार्यक्रम, प्रदर्शनी, लोक संगीत, सासंकृतिक कार्यक्रमों आदि का भी आयोजन किया जाएगा. स्थापना दिवस का उदघाटन गणेशजी की पूजा अर्चना के साथ शुरू किया जा रहा है.  

 

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वास्तु शास्त्र के अनुसार शहर का निर्माण

दुनिया भर में राजधानी जयपुर सांस्कृतिक, हेरिटेज, वास्तु कला, परंपरा और ऐतिहासिक विरासत में अपनी अलग पहचान रखने वाला शहर माना जाता है. खूबसूरत और आकर्षक पिंकसिटी की स्थापना 18 नवंबर 1727 को आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी. देश में पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी शहर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया हो. इसके साथ ही महाराजा जयसिंह को वास्तु शास्त्र का ज्ञान था जिसके कारन उन्होंने शहर का निर्माण नवग्रह को ध्यान में रखते हुए किया. 

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हवामहल

नाहरगढ़ का किला, हवामहल, शीश महल,अम्बेर का किला, जल महल और गणेशपोल जैसी हेरिटेज स्थान गुलाबी नगरी की खूबसूरती में और अधिक चारचांद लगाता है. पूरें शहर के महलों और पुराने घरों में लगे  ऐतिहासिक गुलाबी ढोलपुरी पत्थरों से जयपुर और अधिक खुबसुरत एवं आकर्षक दिखता है. क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है. 

 

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900 से अधिक खिड़कियां

बढ़ती आबादी और पानी का कमी के कारन राजा जयसिंह ने साबी नदी के किनारें जयपुर शहर का निर्माण करवाया था. शाही महिलाओं को रैली देखने के उद्देश्य से हवामहल का निर्माण करवाया गया था. हवा महल में लगभग 900 से अधिक खिड़कियां हैं, जब इन खिड़कियों से हवा निकलती है तो ऐसा महसूस होता है कि जैसे कूलर चल रही हो.    

 

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