Rajasthan Politics, Dhirendra Shastri in Sikar : देश के पांच राज्यों में साल के आखीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जिनमें जीत के लिए सभी पर्टियां अलग-अलग पैंतरे आजमा रही हैं. इन दिनों मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी में होड़ मची हुई है, कि कौन बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पीठाधीश धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) को अपनी ओर खींच सकता है. इसके लिए PM के CM शिवराज सिंह चौहान और पूर्व CM कमलनाथ सिंह, दोनों ही उनके दरबार में मत्था टेक चुके हैं. लेकिन चुनावों से पहले अब धीरेंद्र शास्त्री की राजस्थान में एंट्री की खबर के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई है. लोग ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि राजस्थान में बागेश्वर धाम सरकार किस पर अपना हाथ रखेंगे. 


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छिंदवाड़ा में हुई कमलनाथ सिंह की राम कथा  


इन दिनों देश-दुनिया में धीरेंद्र शास्त्री एक बड़ा नाम बन चुके हैं. उनकी पॉपुलैरिटी किसी से छिपी नहीं है. कुछ नहीने पहले बिहार में हुए उनके दिव्य दरबार में इतने लोग पहुंच गए थे, कि शहर की पूरी व्यवस्था ठप हो गई थी. इस दौरान कई लोग चोटल हो गए थे और कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई थी. इसके अलावा, हाल में, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ सिंह (Kamal Nath Singh) अपने गृह जिले छिंदवाड़ा में तीन दिवसीय राम कथा करवा चुके हैं, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए. अब राजस्थान के सीकर में BJP नेता बागेश्व धाम सरकार (Bageshwa Dham Sarkar) का कार्यक्रम आयोजित करने जा रहे हैं. सीकर (Sikar) भाजयुमो जिला प्रभारी यश गुर्जर के अनुसार सीकर के पलसाना में कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम आयोजित होगा. 


धीरेंद्र शास्त्री का हिंदुत्व की ओर झुकाव


धीरेंद्र शास्त्री का हिंदुत्व की ओर झुकाव किसी से छिपा नहीं है. वो कई बार कह चुके हैं, कि जो हिंदुत्व के लिए काम करेगा, हम उसके साथ हैं. दूसरी ओर, बीजेपी भी हिंदुत्व का कार्ड खेलकर ही सत्ता में आई है. ऐसे में धीरेंद्र शास्त्री को लेकर BJP आश्वस्त ही दिखाई देती रही है. अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में हिंदुत्व के मामले में बीजेपी मुखर रही है. वहीं, अगर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की बात करें, तो उनका किसी एक समुदाय के प्रति बहुत ज्यादा झुकाव कभी नहीं दिखता. वो कांग्रेस के उन सीनियर नेताओं में से हैं, जो कांग्रेस के सेक्युलर एजेंजे पर काम करते हैं. 


कमलनाथ सिंह और CM गहलोत की परिस्थितियों में फर्क


हालांकि, MP के पूर्व CM कमलनाथ सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक ही शैली का नेता कहा जाता है. दोनों की गिनती कांग्रेस के सीनियर और पार्टी के एथिक्स पर काम करने वाले नेताओं के रूप में होती है, और दोनों अपने अक्खड़ स्वभाव के लिए जाने जाते हैं. लेकिन एमपी में धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता बहुत ज्यादा है. अगर कमलनाथ का उनकी ओर झुकाव ना हुआ, तो उन्हें दोहरा नुकसान हो सकता है. एक तरह बागेश्वर धाम को चाहने वाले कांग्रेस से बिल्कुल कट जाएंगे, और दूसरा बड़ा नुकसान ये होगा, कि कांग्रेस की अनुपस्थिति में धीरेंद्र शास्त्री को पूरी तरह से बीजेपी का मान लिया जाएगा. भले ही धीरेंद्र शास्त्री BJP का खुलकर समर्थन ना करें.


वहीं दूसरी ओर, अशोक गहलोत सत्ता में हैं. उनके हाथों में राजस्थान की पूरी मशीनरी है. जिस तरह सीएम गहलोत राजस्थान के लिए रोज नई- नई योजनाएं निकाल रहे हैं, उससे अपोजीशने को उनसे टकराने के लिए एंड़ी-चोटी का जोर रलागा होगा. राजस्थान के अपोजीशन जैसी स्थिति कमलनाथ के समाने भी है. 



अगर दो टूक में कहें, तो कमलनाथ की वही स्थिति मध्य प्रदेश में है, जो बीजेपी की राजस्थान में. ऐसे में धीरेंद्र शास्त्री के राजस्थान में आने से और सीएम गहलोत का उनसे दूर रहने से निश्चित तौर पर बीजेपी को कुछ बढ़त दिला जाएगी. लेकिन जब तक धीरेंद्र शास्त्री खुलकर कुछ नहीं कहते, बीजेपी को वो सफलता हाथ नहीं लगेगी, जिसकी वो उम्मीद कर रही है.


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