Rajasthan Politics: अशोक गहलोत का चुनावों से पहले बड़ा दांव, राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार
Ashok gehlot press confrence Jaipur: राजस्थान में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद प्रेस कांफ्रेंस में पहुंची और कैबिटने के फैसलों की जानकारी दी.
Ashok gehlot Big news: अशोक गहलोत कैबिनेट की आज जयपुर में करीब 1 घंटे तक बैठक हुई. राजस्थान के इतिहास में ऐसा बहुत कम देखने को मिला है जब कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री खुद प्रेस कांफ्रेंस करने आए हो. आज CM गहलोत खुद प्रेस कांफ्रेंस करने पहुंचे. इस दौरान प्रतापसिंह खाचरियावास, शांति धारीवाल, ममता भूपेश, हेमाराम चौधरी, उदयलाल आंजना, रमेश मीणा समेत तमाम मंत्री भी प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहे. प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने संबोधित किया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रिमोट का बटन दबाकर राजस्थान में 19 नए जिलों का शुभारंभ किया.
नए जिलों का नोटिफिकेशन जारी
मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने कहा कि आज की कैबिनेट बैठक में नए 19 जिलों के नोटिफिकेशन जारी करने की घोषणा हुई. ये नए जिलों की जरूरत क्यों है, ऐसा इसलिए क्योंकि राजस्थान के 2 जिलों की मैं भी कलेक्टर रह चुकी हूं. एक कलेक्टर के तौर पर बड़ा जिला होने की वजह से पूरे जिले की सही से मॉनिटरिंग नहीं कर पाते थे.
मुख्य सचिव ने कहा कि बूंदी हो या अजमेर, हर जगह इस बात की समस्या का सामना करना पड़ा कि दूर दराज के ग्रामीण इलाकों के लोग अपनी समस्या को सही जगह तक नहीं पहुंचा पाते थे.
नए जिलों के फायदे- ऊषा शर्मा
कलेक्टर आम लोगों की समस्या सुन पाएंगे
न्यायालय के मामलों में कलेक्टर पर्याप्त समय देंगे
आम जन के साथ समन्व्य स्थापित होंगे
जिला मुख्यालय के आसपास विकास होगा
निवेश और रोजगार की संभावनाएं पैदा होगी
राजस्थान सरकार की योनजाओं का सफल क्रियान्व्यन होगा
प्रशासन सक्रिय ढ़ंग से काम कर पाएगा
जनसंख्या के अनुपात में काम नहीं- रामलाल जाट
राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी की तरह राजस्थान का भूगोल बदल दिया. नए जिलों के निर्माण से आम लोगों को बहुत फायदा होगा. पिछले 4 सालों में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राजस्व विभाग में 125 नई उप तहसीलें, 85 तहसीलें, 13 एडीएम, 1 हजार से ज्यादा नए पटवार मंडल बनाए. राजस्थान में इतने बड़े जिले थे कि ग्रामीण क्षेत्र का आदमी सुबह निकले तो मुख्यालय तक जाकर शाम तक वापिस घर नहीं पहुंच पाता था. अब राजस्थान में साढ़े 15 लाख की आबादी पर औसतन एक जिला बन गया है.