Sanjivini scam : सीएम अशोक गहलोत व केंद्रीय मंत्री गजेंद्रसिह शेखावत के बीच संजीवनी घोटाले को लेकर चल रही खींचतान चल रही थी. इस बीच सरकार ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की संपत्तियां सीज करने की तैयारी शुरू कर दी है. वहीं बीते 15 दिनों में बाड़मेर अकेले जिले में 155 से ज्यादा अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है. क्रेडिट कॉपरेटिव संपतियों को चिहिंत कर नीलाम करने के लिए केंद्रीय रजिस्ट्रार ने बाड़मेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के एमडी को परिसमापक नियुक्त किया है. वहीं, पुलिस एफआईआर दर्ज कर जांच कर रही है.


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दरअसल, संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में 953 करोड़ रुपए के घोटाले में बाड़मेर जिले की गरीब लोगों के खून पसीने की कमाई का पैसा डूब गया है. जहां एक तरफ एसओजी इस पूरे मामले को लेकर जांच कर रही है वही दूसरी तरफ गरीब जनता का पैसा लौटने के लिए संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव की संपत्तियों को चिन्हित कर नीलाम करने के लिए केंद्रीय रजिस्ट्रार ने बाड़मेर सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक के एमडी को परिसमापक नियुक्त किया है. लेकिन संजीवनी मामले से जुड़ी संपत्तियों का रिकॉर्ड नहीं मिल पाने के कारण इस कार्यवाही में देरी हो रही है वही गरीब जनता लगातार सरकार से उनके खून पसीने की कमाई वापस गुहार लगा रही है.


लोगों ने खून-पसीने के पैसों करवाए थे जमा


किसी ने अपनी बीमारी के इलाज करवाने के लिए सिलाई करके पाई पाई जोड़ी तो किसी ने बूढ़े मां बाप के लिए कारपेंटर का काम कर पैसे इकट्ठे किए और बचत के लिए घर के पास ही संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव में हर महीने जमा करवाते. कुछ धनराशि बैंक में जमा हुई तो पैसे निकालने पहुंचे तो संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के कर्मचारियों ने धन राशि को दो चार साल में दोगुना होने का झांसा दिया. तो भोले भाले गरीब लोगों ने लालच में आकर एफडी करवा दी जैसे ही एफडी का समय पूरा हुआ तब तक संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी ही उठ गई. पैसे डूब जाने से अब इन गरीब लोगों को जीवन यापन करने में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.


केस स्टडी


बाड़मेर शहर की बेरियो का वास निवासी मेथीबाई को हार्ट की दिक्कत है. बीमारी का इलाज कराने के लिए सिलाई करके कुछ पैसे जोड़कर संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव में जमा करवाएं अचानक की तबीयत बिगड़ी तो इलाज करवाने के लिए जोधपुर चली गई और जब जोधपुर से इलाज करवा कर वापस लौटी और तो लोगों से सुना संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक मैं लोगों का पैसा डूब गया और बैंक बंद हो गई.


केस स्टडी- बेरियो का बास के ही रहने वाले प्रताप चंद की कुछ ऐसी ही कहानी है. घर में 90 बरस की बुजुर्ग मां है और बड़े बेटे को भी हार्ट की बीमारी दिक्कत है. प्रताप चंद ने दिन रात कारपेंटर का काम कर बुजुर्ग माँ की देखभाल व बेटे के ईलाज के लिए पैसे इकट्ठे कर संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव में एजेंट के माध्यम से खाता खुलवा कर जमा करवाए थे. लेकिन उनके भी पैसे डूब गए. संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव में अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई को खो चुके पीड़ित तो लगातार सरकार से उनके पैसे वापस दिलाने की गुहार लगा रहे हैं.


15 दिनों में 17 थानों में 155 मामले दर्ज


बाड़मेर जिले में गत 15 दिनों में 152 मामले 17 थानों में दर्ज हुए है. यह सभी परिवादी एसओजी के जरिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे. अधिकांश मामलों में लेंग्वेज हूबहू है. इसमें यह लिखा गया है कि पीड़ित ने रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान के जरिए एसओजी को परिवाद मिले. उसके अवलोकन पर प्रकट हुआ कि परिवादी का अभियुक्तों की ओर से संचालित संजीवनी क्रेडिट को ऑपरेटिव सोयायटी का खाताधारक है. परिवादी की ओर से निवेश योजना में राशि जमा करवाई गई थी, लेकिन उसे परिपक्वता पर देय नहीं की गई है. इस आधार पर थानों में धारा 420, 406 व अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019 की धारा 3 व 21 के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं.


परिसमापक किया नियुक्त, संपति सत्यापन के बाद की जाएगी जब्त


संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाले में अब तक भारत सरकार की BUDS एक्ट 2019 के तहत 5318 शिकायतें राज्य सरकार पोर्टल पर मिली है जिसके बाद केंद्रीय रजिस्ट्रार अधिकारी ने संजीवनी से पीड़ित गरीब लोगों को उनकी राशि लौटाने के लिए संजीवनी की प्रॉपर्टी को सीज कर नीलामी के बाद लोगों के पैसे लौटाने की कार्यवाही शुरू कर दी है जिसके लिए बाड़मेर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के एमडी जितेंद्र गोदारा को इसका परिसमापक नियुक्त किया गया है.


कोर्ट से संपति का ब्यौरा मांगा गया है


संजीवनी मामले में नियुक्त परिसमापक जितेंद्र गोदारा ने बताया कि केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय से संजीवनी से जुड़ी कई संपत्तियों की सूची मिली है. उन संपत्तियों की जांच करने पर अधिकांश प्रॉपर्टी के रूप में संपत्ति है जो पूरी तरीके से बंद पड़ी है. और संजीवनी घोटाले की जांच राजस्थान एसओजी कर रही है जिसके कारण सारे दस्तावेज एसओजी ने चालान पेश के दौरान सारे दस्तावेज न्यायालय में पेश कर दिए गये है. न्यायालय से संजीवनी से जुड़े संपत्तियों के दस्तावेज प्राप्त करने की कार्यवाही चल रही है और स्थानीय निकायों से भी संजीवनी से जुड़ी प्रॉपर्टीयो की जानकारी ली जा रही हैं. यह दस्तावेज प्राप्त होने के बाद परीसमापक के कार्य मे गति आएगी.