Rajpal Shekhawat Viral Tweet: कहते हैं सियासत में हर एक शब्द मायने रखता है, क्योंकि हर शब्द का मतलब होता है और उसे बेहद सोच समझकर बोला या लिखा जाता है. आज एक ऐसा ही शब्द 'रिजेक्टेबल' चर्चाओं में है जिसका अर्थ होता है अस्वीकार करने योग्य.


चर्चाओं में शेखावत का ट्वीट


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राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद करीबी माने जाने वाले राजपाल सिंह शेखावत ने अपने ट्विटर अकाउंट से तकरीबन 12:00 बजे ट्वीट करते हुए लिखा कि रिजेक्टेबल. उनके इस ट्वीट के बाद तरह-तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. कोई इसे मौजूदा सियासी घटनाक्रम से जोड़ कर देख रहा है तो कोई इसे गैर-राजनीतिक ट्वीट बता रहा है. हालांकि बाद में शेखावत ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया.



Fact Check- ये है ट्वीट की सच्चाई 


दरअसल राजपाल सिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए एक ट्वीट किया था. ट्वीट में लिखा था ट्वीट में लिखा था बेतुके और गैरजिम्मेदाराना बयान #CMGehlot की आदत बन गई है इस कदर कि वह संवैधानिक गणमान्य व्यक्तियों को भी नहीं बख्शते। #VPofIndia इस धरती के पुत्र हैं और राज्य में उनका दौरा लोगों के लिए प्रेरणादायक है। इस तरह के अपमानजनक बयान बिल्कुल अस्वीकार्य हैं। इस ट्वीट का आखिरी शब्द रिजेक्ट - एबल (Reject-able) था जिसे ठीक करते हुए राजपाल सिंह शेखावत ने एक अलग से ट्वीट करते हुए रिजेक्टेबल लिख दिया.


उनका यह ट्वीट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे. हालांकि शेखावत में बाद में इस ट्वीट को डिलीट कर दिया. लेकिन तब तक इसके स्क्रीनशॉट वायरल हो चुके थे.


इस सियासी घटनाक्रम से लोगों ने जोड़ा


गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जयपुर प्रवास पर है और विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जा रही है. इस दौरान कोर कमेटी की बैठक भी हुई और संघ के नेताओं से चर्चा भी हुई. इस बैठक में अमित शाह और जेपी नड्डा ने संकल्प यात्रा के दौरान कम भीड़ आने और गुटबाजी को लेकर जबरदस्त नाराजगी जताई है और शाह ने साफ संदेश दे दिया है कि अगर कोई भी पार्टी का अनुशासन तोड़ेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. साथ ही यह भी साफ कर दिया गया है कि जब पार्लियामेंट्री बोर्ड ने तय कर दिया है कि इस बार प्रधानमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा तो सभी नेताओं को एक जुटता के साथ काम करना होगा. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 25 सितंबर की सभा में दो टूक कहते हुए कहा था कि नेता और कार्यकर्ता स्वयंभू बनना छोड़कर कमल के फूल के लिए काम करना शुरू करें. सभी की पहचान कमल का फूल है.


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