Rajasthan Congress : चुनावी साल में जहां नेता टिकट के जुगाड़ में जुटे हुए हैं तो वहीं कांग्रेस के 4 बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है और यह फेहरिस्त और लंबी हो सकती है, क्योंकि कई बड़े नेता है जो अब चुनाव ना लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, वहीं कुछ ऐसे ऐसे सीनियर नेता भी है जो चुनाव से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है.


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दरअसल सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और श्रीमाधोपुर से विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है, तो वहीं अशोक गहलोत खेमे के वरिष्ठ मंत्री और विधायक बी डी कल्ला ने साफ कर दिया है कि चुनाव लड़ने में उनकी उम्र आड़े नहीं आएगी. वह अब भी पूरी तरह से फिट है. दूसरी और कुछ ऐसे मंत्री और विधायक भी हैं जो अपनी जगह अपने बेटे-बेटियों को टिकट देना चाहते हैं.



दीपेंद्र सिंह शेखावत


पायलट खेमे के दीपेंद्र सिंह शेखावत ने हाल ही में सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए एलान किया कि वह आने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि अब मैं अगले तीन-चार महीने का विधायक हूं और उसके बाद आचार संहिता लग जाएगी. मेरे स्वास्थ्य को देखते हुए मैंने यह फैसला किया है कि मैं अगला चुनाव नहीं लड़ूंगा. 


हेमाराम चौधरी


गुडामालानी से विधायक और गहलोत सरकार के वन मंत्री हेमाराम चौधरी भी अगला चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. हेमाराम चौधरी सचिन पायलट खेमे के माने जाते हैं और उन्होंने कहा कि युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए. इसलिए मैं अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हूं.


विधायक भरत सिंह


सांगोद से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर भी चुनाव ना लड़ने का एलान कर चुके हैं, वह कई बार सार्वजनिक मंचों और पत्र लिख कर कह चुके हैं कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. साथ ही उन्होंने युवाओं को आगे लाने की भी बात कही है.


अमीन खान


बाड़मेर से ही आने वाले एक और विधायक अमीन खान भी चुनाव ना लड़ने का एलान कर चुके हैं. कई बार उन्होंने सार्वजनिक मंचों से भी कहा कि अब मेरी उम्र हो गई है युवाओं को आगे बढ़ाने की पैरवी करते हुए वह विधानसभा चुनाव ना लड़ने की बात कह चुके हैं. 


गौरतलब है कि गुरमीत सिंह कुनर भी कह चुके हैं कि अब वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते. उनकी जगह उनके बेटे को टिकट दे दिया जाए तो उनकी जान छूटे. वहीं कतार में कई और ऐसे मंत्री और विधायक हैं जो अपने बेटे या बेटी को टिकट मिलने की स्थिति में सीट छोड़ने को तैयार हैं. ऐसे में देखना बेहद दिलचस्प होगा कि आखिर कौन-कौन से नेता चुनाव से पहले सियासी रिटायरमेंट का एलान करते हैं.


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