Rajasthan- इंदिरा रसोई की जगह अन्नपूर्णा रसोई योजना, पीएम के पसंदीदा मिलेट्स को किया शामिल, जानें अब खाने के लिए कितने देने होगे दाम
sri annapurna yojana rajasthan: राजस्थान में भजन लाल सरकार ने इंदिरा रसोई का नाम बदलकर श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना कर दिया है. अब लोगों को थाली में 450 ग्राम की जगह 600 ग्राम अन्न मिलेगा. जिसमें 300 ग्राम चपाती, 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी और अचार के साथ मिलेट्स (श्रीअन्न) शामिल किया गया है.
sri annapurna yojana rajasthan: राजस्थान में भजन लाल सरकार ने इंदिरा रसोई का नाम बदलकर श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना कर दिया है. सीएम भजन लाल ने पीएम मोदी के सामने इसका ऐलान किया था. शनिवार को इसके सरकारी आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. सरकार ने नाम बदलने के साथ ही इसकी मात्रा में भी बदलाव किया है. अब लोगों को थाली में 450 ग्राम की जगह 600 ग्राम अन्न मिलेगा. जिसमें 300 ग्राम चपाती, 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी और अचार के साथ मिलेट्स (श्रीअन्न) शामिल किया गया है.
इसमें मिलेट्स भी शामिल किए गए हैं. सरकार ने इसकी कीमतों में बढ़ोत्तरी भी की है लेकिन लोगों को इसके लिए 8 रूपए ही चुकाने पड़ेंगे. सरकार ने यह किमतें श्री अन्नपूर्णा रसोई के संचालकों के लिए बढ़ाई है उन्हें अब 17 की जगह 22 रूपए का अनुदान देना होगा. बता दें कि राज्य सरकार ने यह बदलाव संचालित रसोइयों की समीक्षा के बाद किए है. इसी के साथ जारी नोटिस में साफ किया है कि सभी रसोइयों और उनके पोर्टल से लेकर होर्डिंग और प्रचार प्रसार में भी अब श्री अन्नपूर्णा रसोई ही नाम लिखा होगा.
इसी के साथ सरकार ने सभी कलेक्टरों को भी इसके लिए आदेश जारी किए है. जिसमें साफ कहा है कि नगरीय निकायों में संचालित रसोईयों की संख्या एवं स्थानों का परीक्षण कराते हुए प्रस्ताव 15 दिन में भेजने के निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि पूर्व की अशोक गहलोत सरकार ने 'कोई भूखा न सोए' के संकल्प के साथ ही अगस्त 2020 में 8 रुपये प्रति प्लेट के हिसाब से इंदिरा रसोई योजना की शुरूआत की थी. जिसमें गुणवत्ता पूर्ण खाना उपलब्ध कराया जाता था. भजनलाल सरकार ने ही इसके नाम में बदलाव नहीं किया बल्कि गहलोत सरकार ने भी वसुंधरा सरकार के 5 रुपये में नाश्ता और 8 रुपये में खाना खिलाने वाली अन्नपूर्णा योजना का नाम बदलकर इंदिरा रसोई किया था. वसुंधरा सरकार गाड़ियों में रसोई चलाई थीं, लेकिन गहलोत ने सत्ता में आने के बाद इसे स्थायी रसोई में बदला था. विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व की गहलोत सरकार ने इसकी संख्या 1000 कर दी थी.