Rajasthan: शुक्रवार को दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा  ने अल्बर्ट हॉल में  सीएम भजनलाल शर्मा  के साथ शपथ ग्रहण की थी. जिसके बाद शाम चार बजे सचिवालय जाकर  पदभार ग्रहण किया . लेकिन पदभार ग्रहण करने के साथ ही इनके पद पर ग्रहण लगता हुआ दिखाई दे रहा है. हाइकोर्ट के वकील ओमप्रकाश सोलंकी ने एक जनहित याचिका( PIL) दायर की है. यह जनहित याचिका  दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा  को  लेकर दी गई है. ओमप्रकाश सोलंकी ने इन दोनों के की शपथ को हाइकोर्ट में चुनौती दी है. 


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हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में उन्होंने कहा है कि संविधान में उपमुख्यमंत्री पद की कोई व्यवस्था नहीं है. जबकि दोनों ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है .इसलिए इनकी नियुक्ति को अवैध घोषित किया जाए. वहीं दूसरी तरफ हाइकोर्ट के वकील ओमप्रकाश सोलंकी की जनहित याचिका पर हाइकोर्ट की खंडपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी , जिसके बाद फैसला होगा की क्या इनकी शपथ अवैध है. चलिए उससे पहले जानते है इस बारें में संविधान क्या कहता है.


क्या कहता है संविधान
 उपमुख्यमंत्री पद को लेकर संविधान में संवैधानिक तौर पर मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद का ही जिक्र मिलता है. भारतीय संविधान में डिप्टीसीएम जैसा कोई संवैधानिक पद नहीं होता है. उदाहरण के लिए अगर समझे तो उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और काम का जिक्र संविधान में किया गया है. उस तरह संविधान में किसी भी राज्य के लिए डिप्टी सीएम पद का कोई उल्लेख नहीं किया गया  है. यह एक तरह की राजनीतिक व्यवस्था होती है. इस पद को लेकर अब राजनीतिक पार्टियां अपने जातीय समीकरणों को साधने के लिए प्रयोग में लाती है. जिसे वह जनता को लुभा सकें.


गौरतलब है कि ओमप्रकाश सोलंकी से पहले इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी उपमुख्यमंत्री पद को लेकर सवाल उठाया था.


क्यों बनाए जातें है उपमुख्यमंत्री 
अब तो कई राज्यों में दो या दो से अधिक उपमुख्यमंत्री भी देखने को मिल जाते हैं. सियासी पंडितों का कहना है कि उपमुख्यमंत्री पद अधिकतर जातीय समीकरण को साधने के लिए बनाए जाते हैं. राजस्थान में भी दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए है तो उनमें से एक राजपूत समाज से बनाया गया है जबकि दूसरा दलित समाज से, यानी यहां भी जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है.