Rajasthan Politics:  सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के प्रतिबंध को हटाने पर संघ सहित भाजपा नेताओं ने फैसले का स्वागत किया है.वहीं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि बीजेपी का कर्मचारियों का पार्टी से जोड़ने का प्रयास लेकिन सार्थक नहीं होंगे.उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को सलाह दी कि उन्हें संघ से दूर रहना चाहिए.


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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आजादी के बाद से ही कई बार प्रतिबंध लगा लेकिन हटा लिया भी गया.संघ पर 1948 में प्रतिबंध लगा.बाद में 1968 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगा दी.



इधर 56 वर्ष बाद इंद्रावती मोदी सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा लिया और अब कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है.


राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है.


अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था.शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है.



राज्य विधानसभा के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवादी संस्था है.सकारात्मक सोच वाली संस्था है .देश के हित में सोचने वाली देश को सर्वोपरि मानने वाली संस्था है .


ऐसी संस्थाओं को तो मजबूत किया जाना चाहिए उसकी बजाय कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हित को देखते हुए संघ को हमेशा कमजोर करने का प्रयास किया, लेकिन उसके बाद भी संघ कभी कमजोर नहीं हुआ निरंतर आगे बढ़ता गया .तीन-तीन बार प्रतिबंध लगाया कांग्रेस सरकार ने कर्मचारी संघ में भाग नहीं ले सकते.


ऐसे सर्कुलर भी जारी किया और लोगों को डिसकैरेज करने का कोशिश भी की उसके बाद भी संघ आज बढ़ते बढ़ते दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन गया.वह समाज के समर्थन के कारण और संघ के नीतियों के कारण है ऐसे सर्कुलर से कोई फर्क नहीं पड़ता है.


मैं खुद सरकारी कर्मचारी रहा प्रतिबंध लगाने हटाने से कोई फर्क नहीं.....
जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि मैं खुद एक कर्मचारी रहा हूं राजस्थान सरकार का और केंद्र सरकार का सर्कुलर होता था कि हम भाग नहीं ले सकते थे तब भी मैं भाग लेता था.कभी ऐसे सर्कुलर की परवाह नहीं की, मेरे जैसे लाखों कार्यकर्ता हैं जिन्होंने ऐसे सर्कुलर की परवाह किए बिना संघ के काम को आगे बढ़ाया है.


ऐसे में इन सर्कुलर के रहने या हटाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन फिर भी मैं केंद्र सरकार का धन्यवाद करता हूं कि जन भावना को देखते हुए इस सर्कुलर को जारी किया है उन्हें बधाई और धन्यवाद दोनों सरकारों को ऐसे संगठन को और मजबूत किया जाना चाहिए बजाय कि उन्हें कमजोर किया जाए.



जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय भावना से उत्तर समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति का निर्माण करने में लगा है.तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने व्यवस्था पूर्वक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था.केंद्र की मोदी सरकार को धन्यवाद कि उन्होंने कांग्रेस के उच्च मानसिकता वाले फैसले को पलट दिया.


भाई दूसरी ओर प्रतिपक्ष ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर ऐतराज जाहिर किया साथ ही कर्मचारियों को भी सलाह दी कि वह सभी की गतिविधियों में शामिल नहीं हो.नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि आरएसएस को आजादी के समय 1948 में बैन किया गया था .


सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा इसके बाद इन्होंने अच्छे व्यवहार का वादा करके फिर छूट दी गई उसके बाद 1968 में इन पर बैन लगाया गया लेकिन अब 56 साल बाद वापस सरकार इस प्रकार का जो निर्णय कर रही है .


यह सरकारी कर्मचारियों को संस्थाओं से जोड़ने का प्रयास है.यह सार्थक नहीं होगा. अधिकारी कर्मचारी जो हो उन्हें इन गतिविधियों से दूर रहना चाहिए पार्टी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए. 


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