सचिन पायलट की चिट्ठी और गहलोत के खिलाफ अनशन, क्या विधानसभा चुनाव से पहले अलग होगी राह ?
कोई भी इंसान दो परिस्थितियों में मुखर होता है. पहला जब कोई हाथ उसके सिर पर हो और दूसरा तब, जब उसके पास खोने को कुछ नहीं हो. राजस्थान (Rajasthan)की राजनीति में सचिन पायलट (sachin pilot)का इस बार अनशन की राह पर चलना, दूसरी परिस्थिति की तरफ इशारा कर रहा है. कांग्रेस (congress)आलाकमान पहले ही सचिन पायलट को दूसरे राज्यों में स्टार प्रचारक बना चुका है. राजस्थान में अगले सीएम (chife minister)का नाम तय नहीं है. पायलट ना ही पार्टी की नेशनल बॉडी का हिस्सा हैं और ना ही स्टेट में पार्टी की तरफ से कोई पद मिला है. ऐसे में अशोक गहलोत (ashok gehlot) की खिलाफत उनके लिए नुकसानदायक नहीं होगी...
Sachin Pilot News : राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 पास हैं. एक बार फिर से अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने सामने हैं. इस बार 11 अप्रैल को सचिन पायलट अनशन करने वाले हैं. पायलट का कहना है कि गहलोत सरकार में जो वादें जनता से चुनावों से पहले किए थे वो निभाए नहीं.
अपनी बात को समझाने के लिए सचिन पायलट ने 5 पन्ने की चिट्ठी भी सार्वजनिक कर दी. जो उन्होनें अशोक गहलोत समेत कांग्रेस पार्टी के लगभग सभी आला नेताओं को भेजी थी. लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया.
28 मार्च 2022 को सीएम अशोक गहलोत को लिखी गयी, इस चिट्ठी में उन्होंने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासनकाल में हुए करप्शन सहित कई तरह के मुद्दों को उठाया था. 2 नवंबर 2022 को पायलट ने मुख्यमंत्री को फिर से एक चिट्ठी भेजकर, पहले भेजी गयी चिट्ठी पर, कार्रवाई करने का आग्रह भी किया था.
लेकिन दो बार चिट्ठी भेजने के बावजूद भी गहलोत सरकार ने पायलट को जवाब देना जरूरी नहीं समझा, जिससे आहत सचिन पायलट ने इस चिट्ठी को अब सार्वजनिक कर दिया है. अब कल यानि की 11 अप्रैल को सचिन पायलट, अपनी ही पार्टी के खिलाफ अनशन पर बैठने वाले हैं. पायलट समर्थकों का कहना है कि ऐसा सचिन खुद के स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि जनता से किए गए वादे को पूरा नहीं किए जाने पर कर रहे हैं.
वैसे ये पहली बार नहीं है कि जब सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला हो. जुलाई 2020 में राजस्थान में हुई सियासी उठापठक के बाद से सचिन पायलट पर पार्टी की खिलाफत का आरोप लगता रहा है.
लेकिन इस बार ना सिर्फ सचिन पायलट ने गहलोत का विरोध करने की वजह को बताया ,बल्कि कुछ वीडियो भी सार्वजनिक कर दिये हैं जिसमें गहलोत की बातों को कोट किया या है. जिससे ये तय है, कि अशोक गहलोत की छवि को नुकसान हो सकता है.
राजस्थान में कांग्रेस के अंदर चल रही राजनीति को देखा जाएं तो इसमें कोई शक नहीं है कि सचिन पायलट के धैर्य का बांध अब टूट चुका है. उनके पास कई विकल्प भी है. बेनीवाल से लेकर बीजेपी तक सबके दरवाजे खुले हैं. या वो खुद की पार्टी बना लें, कुछ भी संभव है.
वैसे भी पिछले तीन साल में पायलट के लिए नकारा, निकम्मा और गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल अशोक गहलोत कर चुके हैं. लेकिन हमेशा संयम से अपनी बात रखने वाले पायलट अब इन सियासी हमलों की काट लेकर अनशन पर बैठ रहे हैं. जिसका कितना असर आगामी विधानसभा चुनावों कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर पड़ेगा, वक्त ही बताएगा.