राजस्थान में नक्सलवाद के बीज ! मेघवाल बोले- आदिवासियों को मुख्यधारा में नहीं लाया तो माहौल बनेगा हिंसक
Jaipur News : विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान में भी अब तो नक्सलवाद के बीज पहुंच चुके हैं और आदिवासियों में असंतोष बढ़ रहा है. मेघवाल ने कहा कि इस असंतोष के कारण दक्षिणी राजस्थान में माओवाद के बीज भी पनपने लगे हैं.
Jaipur News : विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल ने विधानसभा में बोलते हुए प्रदेश में नक्सलवाद की आहट का मुद्दा उठाया. मेघवाल ने कहा कि प्रदेश में दक्षिणी राजस्थान में ''भील–स्थान'' की मांग उठ रही है, जो काफी गंभीर रूप धारण कर रही है. मेघवाल ने कहा कि यह मांग राजस्थान को खंडित करने वाली है, जिसकी पहुंच अब राजस्थान विधानसभा तक भी हो चुकी है.
मेघवाल ने कहा कि इस विचार को लेकर सभी को गंभीरता से सोचना चाहिए कि ऐसी मांग क्यों उठी और रंग रंगीले राजस्थान का एक हिस्सा अलग होना क्यों चाहता है? मेघवाल ने कहा कि इस पर गंभीरता से विचार करते हुए नीतियां बनानी चाहिए. जिससे आदिवासी वर्गों में संतोष की स्थिति बने. उन्होंने कहा कि बंगाल में नक्सलवाद से कितना खून खराबा हुआ? यह किसी से छिपा हुआ नहीं है. मेघवाल ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान में भी अब तो नक्सलवाद के बीज पहुंच चुके हैं और आदिवासियों में असंतोष बढ़ रहा है. मेघवाल ने कहा कि इस असंतोष के कारण दक्षिणी राजस्थान में माओवाद के बीज भी पनपने लगे हैं.
मेघवाल ने आदिवासियों की स्थिति सुधारने की पैरवी करते हुए कहा कि विधानसभा के नियम 176 में शेड्यूल ट्राइब की रिपोर्ट के बारे में लिखा है. उन्होंने कहा कि कमिश्नर की रिपोर्ट को विधानसभा में रखा जाना चाहिए, लेकिन ना मेरे कार्यकाल के समय ऐसा हुआ और ना अभी रखा जा रहा है. मेघवाल ने कहा कि रिपोर्ट आएगी तो आदिवासियों के विकास की सही स्थिति पता लग सकेगी और आगे हालात सुधारे जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अगर मुख्यधारा में नहीं लाया गया तो माहौल हिंसक बनेगा. मेघवाल ने कहा कि अगर आदिवासी भूखा होगा, तो वह हिंसा की ओर जाएगा और देश के विकास में बाधा बनेगा. इसके साथ ही कैलाश मेघवाल ने जातिगत जनगणना की पैरवी भी की.
कैलाश मेघवाल ने कहा कि विधानसभा में आदिवासियों के लिए स्कूल हॉस्टल और दूसरी सुविधाओं के विकास की बात रखी जाएगी, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या यह सब कुछ हो पाया है? उन्होंने कहा कि सरकार के खजाने से कमजोर वर्ग के लिए ज्यादा खर्च करना जरूरी है. मेघवाल ने कहा कि आदिवासियों की स्थिति इस तरह की है कि कई बार तो वहां बच्चों को बेचा जा रहा है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि क्या अपने कलेजे के टुकड़े को कोई बेचता है? लेकिन दक्षिणी राजस्थान में ऐसा हो रहा है. उन्होंने कहा कि जो गुलामी की परंपरा पहले चल रही थी, वह आज भी आदिवासियों में चल रही है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने आदिवासियों में क्वालिटी एजुकेशन और आर्थिक संबल की जरूरत बताई.
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