Rajasthan Politics: राजस्थान में भजन लाल सरकार के गठन को 25 दिन से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन अब तक कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष नहीं तय कर पाई है, नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में कई नेताओं के नाम चल रहे हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान अब तक अंतिम मुहर नहीं लगा सकी है. कांग्रेस को एक तेजतर्रार नेता की जरूरत है, जो सदन में भाजपा सरकार को घेर सके. सरकार की कमियों को गिना सके और मजबूती से सदन में रख सके.


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दरअसल 19 जनवरी से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है. सत्र के आगाज से पहले जहां भाजपा की तैयारी पूरी हो चुकी है, तो वहीं कांग्रेस अब तक नेता प्रतिपक्ष नहीं ढूंढ सकी है. प्रदेश कांग्रेस के दोनों प्रमुख नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट को आलाकमान ने केंद्र की सियासत में जिम्मेदारी दी है, जहां अशोक गहलोत को गठबंधन समिति का जिम्मा दिया गया है, तो वहीं सचिन पायलट को पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया है, लिहाजा ऐसे में दोनों ही प्रमुख नेता सूबे की सियासत में सक्रिय नहीं रह पाएंगे, लिहाजा ऐसे में पार्टी को नए नेता की तलाश है, जो मजबूती से सदन में भाजपा सरकार का मुकाबला कर सके.
 
गोविंद सिंह डोटासरा


नेता प्रतिपक्ष की रेस में सबसे प्रबल दावेदार पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा माने जा रहे हैं, हालांकि उनके पास लोकसभा चुनाव से पहले संगठन की जिम्मेदारी भी है, ऐसे में पार्टी आलाकमान किसी अन्य नेता को भी जिम्मेदारी सौंप सकता है. 


हरीश चौधरी-महेंद्रजीत मालवीय


कांग्रेस आलाकमान को एक ऐसे चेहरे की तलाश है, जिसके नाम पर गहलोत और पायलट के बीच एक आम राय बन सके. ऐसे में हरीश चौधरी और महेंद्रजीत सिंह मालवीय का नाम भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में चल रहा है. वहीं गहलोत सरकार के दौरान सदन का फ्लोर मैनेजमेंट संभालने वाले पूर्व संसदीय मंत्री शांति धारीवाल को भी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चाएं हैं. हालांकि पिछले कुछ वक्त में धारीवाल विवादों में भी घिरे रहें हैं. हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी दिनों में पार्टी नेता प्रतिपक्ष के नाम पर फैसला ले लेगी.


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