बार-बार मेवाड़ और वागड़ क्यों जा रहे अशोक गहलोत, क्या वहां हासिल होगी फिर राजस्थान की सत्ता
चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उड़न खटोले ने अब दक्षिणी राजस्थान का रुख कर लिया है . पिछले कुछ दिनों में लगातार दक्षिण पर फोकस करते हुए सीएम अशोक गहलोत के दौरे हुए हैं.
Rajasthan politics Ashok Gehlot : चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उड़न खटोले ने अब दक्षिणी राजस्थान का रुख कर लिया है . पिछले कुछ दिनों में लगातार दक्षिण पर फोकस करते हुए सीएम अशोक गहलोत के दौरे हुए हैं. माना जाता है कि मेवाड़ और वागड़ पर मजबूत पकड़ वाली पार्टी प्रदेश की सत्ता पर काबिज होती है. ऐसे में सीएम अशोक गहलोत मेवाड़ का मोर्चा किसी सूरत में कमजोर नहीं होने देना चाहते. संभवतया यही कारण है कि यहां पिछले दिनों दौरे करने के बाद एक बार फिर दो दिन से सीएम अशोक गहलोत उदयपुर संभाग में डेरा डाले हुए हैं.
प्रदेश में चुनावी साल है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले 2 दिन से उदयपुर संभाग के दौरे पर हैं. इस दौरे में सीएम गहलोत संभाग के 6 में से 5 जिलों में जा चुके हैं. चित्तौड़ से शुरुआत करने के बाद प्रतापगढ़, फिर बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर में भी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम हुए. सीएम के दौरे से महंगाई राहत कैंप के रजिस्ट्रेशन में तो रफ्तार बढ़ती है तो साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी मुस्तैदी बढ़ती हुई दिखी है . राजनीतिक हलकों में चर्चा इस बात को लेकर भी है कि राजस्थान के दक्षिण में जिस पार्टी की पकड़ मजबूत हुई वही सत्ता पर वह बढ़त बना लेती है. कांग्रेस के लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री के इन दौरों से उदयपुर संभाग के वागड़ और मेवाड़ अंचल में कांग्रेस मजबूत होगी.
उदयपुर संभाग के वागड़ और मेवाड़ अंचल की बात करें तो संभाग में कुल 28 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें से मौजूदा हालात में बीजेपी के पास 13 और कांग्रेस के पास 11 सीट हैं. हालांकि अभी तक के साढ़े चार साल के कार्यकाल में बीटीपी के दो विधायकों के साथ संभाग की एकमात्र निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया ने भी सरकार का ही साथ दिया है. इस लिहाज से सत्ता के समर्थन में यहां से 14 सीट हो जाती हैं. जबकि गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद उदयपुर शहर की सीट फिलहाल खाली है.
प्रतापगढ़ जिले में 2 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से दोनों ही कांग्रेस के पास हैं. उदयपुर जिले की 8 सीटों में से 5 बीजेपी के पास और दो कांग्रेस के पास है, जबकि एक सीट खाली है. बांसवाड़ा जिले की 5 सीटों में से कांग्रेस और बीजेपी के पास दो-दो सीट जबकि एक निर्दलीय के खाते में हैं. चित्तौड़ ज़िले की बात करें तो बीजेपी के पास तीन और कांग्रेस के पास 2 सीट हैं. डूंगरपुर ज़िले की 4 सीटों में से 50 फ़ीसदी, यानी 2 सीट भारतीय ट्राइबल पार्टी ने जीती थी, जबकि कांग्रेस और बीजेपी के पास यहां एक-एक सीट है. राजसमंद जिले की चार सीट में से दो बीजेपी और दो कांग्रेस के पास हैं. उदयपुर संभाग का अधिकांश हिस्सा टीएसपी एरिया में आता है. लिहाजा यहां अनुसूचित जनजाति के लिए व्यापक आरक्षण है. यही कारण है कि संभाग की 28 में से 11 सीटें सामान्य श्रेणी के लिए हैं, जबकि 17 सीटें आरक्षित हैं.
आंचलिक नजरिए से बात करें तो मेवाड़ में भीलवाड़ा जिला भी शामिल है. भीलवाड़ा की 6 सीटों को भी जोड़ लें तो मेवाड़ और वागड़ में कुल 34 सीटें हो जाती है. भीलवाड़ा ज़िले की 6 में से 4 सीट बीजेपी के पास जबकि कांग्रेस के पास केवल 2 सीट है.
मुख्यमंत्री का फोकस मेवाड़ और वागड़ पर दिख रहा है? लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी खुद मेवाड़ से आते हैं. उनका कहना है? की मेवाड़ दौरे पर मुख्यमंत्री की सभाओं में भीड़ की क्या स्थिति है? यह किसी से छिपी नहीं है? सीपी जोशी ने कहा कि नरेगा की लेबर को भीड़ के रूप में लाना और आशा सहयोगिनियों पर भीड़ लाने के लिए दबाव बनाकर कांग्रेस पार्टी और सरकार आखिर क्या साबित करना चाहती है? सीपी जोशी ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार और सत्ताधारी पार्टी के कार्यक्रमों में आखिर आमजन कहां है?
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