Pratapgarh: आदिवासी बाहुल्य जिले के पीपलखूंट उपखंड मुख्यालय के घंटाली क्षेत्र के लेवापाड़ा सरकारी स्कूल पढ़ने वाले बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल भवन में छह कमरे हैं, जिसमे से पांच कमरे जर्जर हैं, जिनकी छतें बारिश में टपकती रहती हैं. स्कूल में सुवधाएं भले ही कुछ नहीं है पर, सरकार द्वारा इसे क्रमोनत कर दिया गया है. स्कूल में कुल 253 बच्चों का नामांकन है. बारिश के मौसम में प्रधानचार्य के कमरे और बरामदे में बैठकर बच्चों को पढाई करवानी पड़ती है. जर्जर भवन के कारण बच्चों की जान का भी खतरा बना रहता है. 


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स्कूल गांव के मुख्य मार्ग से 200 मीटर अंदर की तरफ है, इस मार्ग में भी बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रास्ते में एक नाला बहता है. सड़क के अभाव में 200 मीटर आने जाने में विद्यार्थियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है. नाले के भी टूटे होने के कारण हमेशा हादसे का डर बना रहता है. प्रशासन गांवो के संग अभियान के दौरान विद्यालय खेल मैदान का समतलीकरण कार्य किया गया, जो भी ठेकेदारों द्वारा अधूरा छोड़ दिया गया है. ऐसे में बच्चों के खेलने का मैदान भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है. 


स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा नौ के छात्र रायमल ने बताया कि स्कूल का भवन क्षतिग्रस्त है, हर साल बारिश के मौसम में कमरों में पानी टपकता है, सभी को डर लगता है कि कहीं कमरे गिर ना जाए. रायमल ने जल्द से जल्द समस्या के समाधान की मांग भी प्रशासन से की है. स्कूल में कार्यरत शारीरिक शिक्षक सुरेश तिवारी ने बताया कि स्कूल के भवन की स्थिति काफी दयनीय है, जर्जर है इस बारे में स्थानीय जनप्रतिनिधि सरपंच, उपखंड अधिकारी आदि को अवगत कराया गया है, किंतु कोई समाधान नहीं हो पाया है. एक ओर सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा के दावे किये जा रहें हैं, वहीं दूसरी और सरकारी स्कूलों की दयनी हालत के चलते नौनिहालों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है.


Reporter - Vivek Upadhyay


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