Pratapgarh News: ऑनलाइन बिक रही ``मौत`` की डोर, बैन के बावजूद चीनी मांझे की हो रही होम डिलीवरी
Pratapgarh News: राजस्थान में चीनी मांझा बैन होने बाद भी बिक रहा है. कई व्यापारी ऑनलाइन वेबसाइट और सोशल मीडिया के जरिए इस ``मौत`` की डोर की होम डिलीवरी भी कर रहे हैं.
Rajasthan News: हर साल मकर संक्रांति के दिन एक खतरनाक और दुखद परंपरा बन चुकी है, चाइनीज मांझे से होने वाली दुर्घटनाएं. इस दिन होने वाली पतंगबाजी के दौरान, चाइनीज मांझा न केवल कई लोगों की जान लेता है, बल्कि यह सैकड़ों पक्षियों के लिए भी घातक साबित होता है. पिछले कुछ सालों में इन हादसों में वृद्धि देखी गई है, और इस साल भी स्थिति कुछ अलग नहीं है.
हर साल प्रदेश में 100 से 200 तक हादसे होते हैं, जिनमें बाइक सवार, राहगीर, और बच्चे शामिल होते हैं. मकर संक्रांति के दिन चाइनीज मांझे के कारण होने वाली मौतें चिंता का विषय बन गई है. साल दर साल 5-10 मौतें इस धारदार और खतरनाक मांझे के कारण होती हैं, जिनमें अधिकतर मौतें गले कटने या गंभीर चोटों के कारण होती हैं. इस तरह के हादसों में बाइक सवारों को सबसे अधिक खतरा होता है, क्योंकि तेज रफ्तार से चलने वाले वाहनों के सामने अचानक मांझा आ जाता है, जिससे दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है. खासकर, जिन रास्तों पर वाहनों की गति तेज होती है, वहां यह खतरा और भी बढ़ जाता है. मानव जीवन के अलावा, चाइनीज मांझा पक्षियों के लिए भी खतरे का कारण बनता है. सैकड़ों पक्षी इस मांझे के कारण घायल हो जाते हैं या मौत का शिकार हो जाते हैं. बड़े शहर में सैकड़ों पक्षियों के इलाज की खबरें हर साल सामने आती हैं.
इस खतरनाक मांझे की बिक्री पर कई बार रोक लगाने के बावजूद, यह विक्रेताओं के लिए एक आम कमाई का जरिया बन चुका है. यह अवैध रूप से ऑनलाइन बेचा जा रहा है. विक्रेता अब इस धंधे को इतनी सफाई से चला रहे हैं कि पुलिस या प्रशासन की कार्रवाई से बचने के लिए वे डिजिटल पेमेंट की बजाय कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा दे रहे हैं. इससे न केवल पुलिस के लिए यह ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है, बल्कि यह अवैध व्यापार भी फल-फूल रहा है. हालांकि, मकर संक्रांति से पहले बाजारों में चाइनीज मांझे पर कुछ सख्ती दिखाई जाती है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. विक्रेताओं की चपलता और प्रशासन की लापरवाही के कारण, इस मांझे की बिक्री पूरी तरह से बंद नहीं हो पाई है.
जानकारी के अनुसार, कई लोग वेबसाइट्स और सोशल मीडिया साइट्स के माध्यम से चीनी मांझे का व्यापार कर रहे हैं. इन मांझों की कीमतें 500 रुपये से शुरू हो रही हैं, और संक्रांति के करीब आते ही दुकानदार ग्राहकों से पहले से ऑर्डर लेने के लिए कह रहे हैं, ताकि कीमत में भी बढ़ोतरी की जा सके. इंटरनेट पर "ऑनलाइन पतंग डोरी" जैसी वेबसाइट्स और विभिन्न व्हाट्सएप नंबरों के जरिए चीनी मांझे की बिक्री हो रही है. ग्राहक यहां से मांझे के रेट और फोटो भी प्राप्त कर सकते हैं और कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प भी मौजूद है.
प्रतापगढ़ शहर के बाजारों में भी चोरी-छिपे चीनी मांझा बिक रहा है, जो खास कोड वर्ड के तहत बेचा जा रहा है. दुकानदारों का कहना है कि यह मांझा अब साधे कागजों में बेचा जा रहा है, ताकि यह नजर से छिपा रहे. प्रतापगढ़ जिले में भी पिछले कुछ सालों में संक्रांत के आसपास दिनों में हादसे हुए है. पतंगबाजी का शौक हमारे समाज में पुराना है, लेकिन इस शौक को खतरनाक बनाने वाला तत्व है ''चाइनीज मांझा''. यह मांझा अपनी तेज धार और मजबूती के कारण पतंगों को ज्यादा ऊंचा उड़ाने में मदद करता है, लेकिन साथ ही इसके उपयोग से हो रहे हादसों की संख्या में भी खासी बढ़ोतरी हो गई है. खासतौर पर बच्चों, मोटरसाइकिल सवारों और राहगीरों के लिए यह बेहद जानलेवा साबित हो रहा है.
रिपोर्टर-हितेष उपाध्याय
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