Pratapgarh News: आज से चैत्र नवरात्रि यानी की देवी दुर्गा के पावन दिनों की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के पावन दिनों में भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग उपाय और जतन करते हैं. कोई माता रानी को श्रृंगार का सामान चढ़ता है तो कोई उन्हें नारियल समर्पित करता है. कई लोग 9 दिनों का उपवास भी रखते हैं. 


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यह भी आप जानते हैं कि पूरे देश भर में माता रानी के एक बढ़कर एक अनोखे मंदिर हैं, जहां की मान्यता वह बहुत अलग है. ऐसे में आज आपको राजस्थान के जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, वहां पर माता रानी को हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाई जाती हैं. जी हां, बात कर रहे हैं दिवाक माता मंदिर की, जहां मंदिर के प्रांगण में गड़े हुए त्रिशूल में कई हथकड़ियां चढ़ी हुई हैं, जो कि सालों पुरानी बताई जाती हैं. 



इसके पीछे की जो लोक मान्यता बताई जाती है, वह जानकर भक्तों का विश्वास माता पर और बढ़ जाता है. दरअसल प्रतापगढ़ से 35 किलोमीटर दूर जोलार ग्राम पंचायत में दिवाक माता का एक मंदिर है, जो की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. बता दें कि इस मंदिर के चारों तरफ खूब घना जंगल है. यहां पहुंचने के लिए भक्तों को छोटी बड़ी पहाड़ियों से लेकर ऊंची नीची जगह को पार करना होता है. मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था के चलते इस इलाके में पेड़ नहीं काटे जाते हैं. 



डाकू लेते थे मन्नत
मान्यताओं के अनुसार, पुराने समय में मालवा मेवाड़ अंचल में डाकुओं का राज चलता था. डाकू यहां पर मन्नत लेने आते थे और उनका मानना होता था कि अगर वह काम में पुलिस के चंगुल से बच गए तो माता रानी को हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाएंगे. 



मान्यता
जनश्रुति के मुताबिक, रियासत काल में डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता की मन्नत ली थी कि अगर वह जेल तोड़कर बाहर आया तो सीधे यहां दर्शन करने के लिए आएगा. बाद में वह जेल से भागा था. आज के युग में भी कई भक्तों जो किसी ना किसी आरोपों में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं, वह यहां आकर माता से मन्नत जरूर लेते हैं. श्रद्धालुओं की मानें तो यहां आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, आस्थाओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE Rajasthan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)