Pratapgarh News: मानसून के दौरान जहां पहाड़ियों में हरियाली छा गई है. जिससे यहां के नजारे काफी आकर्षक हो गए है. वहीं दूसरी ओर गत दिनों से हुई अच्छी बारिश के बाद प्राकृतिक झरने भी शुरू हो गए है. ऐेसे में यहां के नजारे काफी आकर्षक हो गए है. जो प्रकृति प्रेमियों के लिए एक तरह से स्वर्ग बना हुआ है. जिले के पहाड़ियों में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर इन दिनों मनोरम झरने अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.


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जिले में अरावली की उपत्यकाओं में कई आकर्षक जगहें है. इनमें सीतामाता अभयारण्य भी अपने आप में जैव विविधता का संगम है. इसके साथ ही कई जगहें भी आकर्षक बनी हुई है. जो मानसून आते ही और भी खूबसूरत बन जाती है. जिससे जिला प्राकृतिक झरनों के साथ पहाड़ प्रेमियों के लिए स्वर्ग बन जाता है. जुलाई से सितंबर तक बारिश होती है. 


इस दौरान पूरा इलाका हरियाली से आच्छादित हो जाता है और झरने मुय आकर्षण होते हैं. कांठल की आबोहवा और भौगोलिक स्थितियों के कारण यहां वनाच्छादित इलाका भरपूर है. यह है जिले का क्षेत्रफल प्रतापगढ़ में कुल भौगोलिक क्षेत्र 44 हजार 495 वर्ग किलोमीटर है. इसमें से एक हजार 44 वर्ग किलोमीटर वनाच्छादित क्षेत्र है, जो 23.47 प्रतिशत है. जिले में चारों और मालवा के पठार और अरावली पर्वत श्रृंखला के संगम पर करीब दो दजर्न से अधिक मनोरम झरनें अपने वेग से बह रहे हैं. 


जिले के मुय रूप से झरने जिसमें भनेज का झरना है. जो दो चरणों में गिरता है. यह झरना रामपुरिया वन खंड के भनेज गांव के किनारे पहाड़ियों से गिर रहा है. यह जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर हैं. वहीं जिले के धरियावद में झरनी माता के नाम से जाना जाने वाला झरना करीब 80 फीट का हैं. इसके साथ ही कांठल का हरिद्वार कहे जाने वाले गौतमेश्वर महादेव मंदिर परिसर में भी 80 मीटर की ऊंचाई से दो चरणों में गिरता हैं. 


इसके अलावा छोटी सादड़ी क्षेत्र के प्रसिद्ध भंवरमाता मंदिर के सामने करीब 70 फीट से गिरने वाले झरना भी अपने वेग पर चल रहा हैं. जिले में अपने पूर्ण वेग से गिरते ये झरने लोगों को लुभा रहे है. जिसके चलते प्रकृति प्रेमी व आसपास क्षेत्र के लोग नजारा देखने पहुंच रहे है. पर्यावरणविद् मंगल मेहता ने बताया कि प्रतापगढ़ की इस प्राकृतिक धरोहर का आनंद अवश्य लेना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही सावधानी और इनकी स्वच्छ का पूरी तरह से याद रखना जाना चाहिए.


जिले में प्रमुख रूप से एक दर्जन से अधिक झरने आकर्षक बने हुए है. सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य सहित गौतमेश्वर, भंवर माता, कमलेश्वर, योगेश्वर, जटाशंकर, ऋषि महादेव, भरका माता, कामाता, खजूरी, नारसिंह माता, भनेज मालिया, खेड़ी, झरनी माता, रातीकाकर, मेहंदी खेड़ा, झरना माता, योगेश्वर, भडक़ का माता का झरना प्रमुख हैं. इसके साथ ही देवझर का झरना भी आकर्षक है.


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