राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश और पीयूष विजय महाराज ने जैन धर्मावलंबियों को किया संबोधित
मूर्तिपूजक युवक महासंघ के प्रदेश सचिव नवीन भैरविया ने बताया कि नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर के प्रतिष्ठा की 11 वीं वर्षगांठ महोत्सव के तहत तीन दिवसीय आयोजन किए जा रहे हैं.
Pratapgarh: प्रतापगढ़ में आज जैन धर्म की दो अलग-अलग धाराओं का समागम में देखने को मिला. नई आबादी स्थित नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में आयोजित व्याख्यानमाला के दौरान राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश और पीयूष विजय महाराज ने एक ही मंच से जैन धर्मावलंबियों को संबोधित किया.
वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ के अध्यक्ष अंबालाल चंडालिया ने बताया कि नई आबादी स्थित नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर पर आज जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक परंपरा के संत पीयूष विजय महाराज एवं स्थानकवासी परंपरा के राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने जैन धर्मावलंबियों को संबोधित किया.
यहां पर आयोजित प्रवचनमाला के दौरान राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने कहा कि जिनवाणी कोई मनोरंजन नहीं है, यह आत्मा के उद्धार का माध्यम है .व्यक्ति को यदि पानी नहीं मिला तो तन का नुकसान हो सकता है लेकिन जिनवाणी नहीं मिली उसका तो जन्म-जन्म का नुकसान है .साधु संत हमेशा जिनवाणी को जनवाणी बनाने के काम में जुटे हुए हैं. ऐसी जिनवाणी को आत्मसात करना चाहिए ना कि उसकी आलोचना करनी चाहिए.
धर्म स्थान पर आकर किसी का अपमान ,तिरस्कार ,आलोचना करना व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है .धर्म की जाजम पर मन वचन काया से एक दूसरे को नीचा दिखाना,छुआछूत करना धर्म की अवमानना है .संतो के प्रति सोच को बदलो ,व्यक्ति की गलत सोच धर्म का अपमान करती है.
इस दौरान मूर्तिपूजक परंपरा के जैन संत पीयूष विजय महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने संबोधन में कहा कि धर्म किसी का अपमान करना नहीं सिखाता. धर्म व्यक्ति की अनुमोदना करना सिखाता है ,अपमान करके व्यक्ति स्वयं की आत्मा को भटका रहा है. धर्म का अपमान करने वाला व्यक्ति संस्कृति और सभ्यता का अपमान करता है. उन्होंने कहा गुरुओं की वाणी सुनकर मन परिवर्तित होता है, आने वाली पीढ़ी धर्म के मार्ग से विमुख हो रही है उसे धर्म पथ पर लाने के लिए जिनवाणी का श्रवण करना चाहिए.
धर्म और संत की प्रशंसा करो, अवमानना मत करो, आलोचना मत करो. उन्होंने कहा किसी भी कार्य में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो उसमें मन लगाकर काम करना होगा. यदि अपनी आत्मा का उद्धार करना है तो मनसे ईश्वर की आराधना करनी होगी .जिस तरह से वाहन चलाते समय ध्यान भटकता है तो दुर्घटना निश्चित है उसी तरह ईश्वर की आराधना में ध्यान भटका तो आत्मा का उद्धार नहीं होगा.
वर्तमान परिपेक्ष में बोलते हुए पीयूष विजय ने कहा कि आज धर्म में षड्यंत्र, लोभ प्रलोभन, जोड़- तोड़ बढ़ रहा है जिससे धर्म की हानि हो रही है. धर्म को बचाना है तो इन सब षड्यंत्रों से दूर होकर एक दूसरे के प्रति मित्रवत व्यवहार रखना होगा. मूर्तिपूजक युवक महासंघ के प्रदेश सचिव नवीन भैरविया ने बताया कि नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर के प्रतिष्ठा की 11 वीं वर्षगांठ महोत्सव के तहत तीन दिवसीय आयोजन किए जा रहे हैं. 29 नवंबर को मंदिर पर ध्वजा चढ़ाई जाएगी जिसमें बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी शामिल होंगे.
Reporter-Vivek Upadhyaya
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