प्रतापगढ़ जेल में कैदियों को राखी बांधने आईं बहनें, जेल प्रशासन ने सजाई पूजन थाल
Pratapgarh News Today: राजस्थान में प्रतापगढ़ जिला जेल में धूमधाम से रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया. यहां सैकड़ों बहनें कैदी भाईयों को राखी बांधने के लिए पहुंची. दूर-दराज से आई बहनों के आंखों में आंसू थे, जो हर साल घर की चौखट पर भाईयों को राखी बांधती थी, उन्हें जेल की चौखट चढ़ना पड़ा.
Pratapgarh News: प्रतापगढ़ जिला जेल में धूमधाम से रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया. यहां सैकड़ों बहनें कैदी भाईयों को राखी बांधने के लिए पहुंची. दूर-दराज से आई बहनों के आंखों में आंसू थे, जो हर साल घर की चौखट पर भाईयों को राखी बांधती थी, उन्हें जेल की चौखट चढ़ना पड़ा. हालांकि, जेल प्रशासन ने पूजन थाल सजाकर और भाई-बहन के बैठने की व्यवस्था कर सहूलियत दी. नारियल पर प्रतिबंध था लेकिन मिठाई और फल खिलाने की इजाजत थी.
रक्षाबंधन पर जेल मुलाकात बंद रखी गई. आज व कल भी मुलाकात पर अवकाश घोषित किया गया है. रक्षाबंधन पर भीड़ को देखते हुए जेल रोड पर ही वाहनों को रोक दिया गया. जेल के भीतर आधार कार्ड से एंट्री दी गई.
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जेल में छोटे गेट से प्रवेश कराकर कार्यालय परिसर में ही राखी बंधवाने की व्यवस्था की गई. पूजन थाल की व्यवस्था जेल प्रशासन ने कर रखी थी. बहनों को राखी के साथ सिर्फ फल और मिठाई ले जाने की अनुमति दी गई. जेलर मुकेश गायरी ने बताया बहनों ने राखी बांधकर अपने भाइयों से वचन मांगा जेल से बाहर आने के बाद आप कोई अपराध नहीं करोगे, सदैव हमारे साथ रहोगे. जिस पर भाइयों ने भी खुशी-खुशी अपनी बहनों से रक्षा सूत्र बनवाकर उन्हें वचन दिया.
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राजस्थान का वो गांव जहां पेड़ों को राखी बांधती हैं बहनें,डेनमार्क तक बनी है पहचान
Raksha Bandhan 2023: पेड़ों से ऐसा अनूठा प्यार की बहनों ने जैसे भाई से प्यार किया है, उसी तरह यहां पेड़ों से भी प्यार किया है.ताकि ये बनें रहें, इसलिए राखी के बंधन से सुरक्षा दे रही हैं. दरअसल ये राजस्थान के उदयपुर जिले के एक गांव की कहानी है, जहां बहनें पेड़ों को राखी बांधती हैं.यह परंपरा साल दो साल पुरानी नहीं बल्कि सदियों पुरानी हैं. यहां हर वर्ष राखी के अवसर बहनें पेड़ों को राखी बांधती हैं.
राजसमंद से 15 KM दूर पिपलांत्री गांव है. आपको बता दें राजस्थान समेत देशभर में ये गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इस गांव की बहन बेटियों ने प्रकृति को संवारने का एक ऐसा अनूठा बीड़ा उठाया. शायद पेड़ों को बचाने के लिए इससे सुंदर संकल्प नहीं होगा. इसी का परिणाम है कि यहां का क्षेत्र पेड़ों और हरियाली से युक्त है.
राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी पहुंचे
यहां कि कहानी इतनी खास है कि इस बार असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी पहुंचे हैं.कटारिया के यहां पहुंचने पर लोगों ने उनका खास तरीके से स्वागत किया है. पर्यावरण संरक्षण रक्षाबंधन कार्यक्रम में शामिल लोगों कि कटारिया ने तारीफ की है.इस मौके पर कारगिल युद्ध के योद्धा योगेंद्र यादव भी इस मौके पर पहुंचे. उनका भी सम्मान किया गया.
अपने पंचायत क्षेत्र के बंजर भूमि को हरा-भरा कर दिया जो एक मॉडल के रूप में देश ही नहीं विश्व में उभर कर सामने आया है. यहां हर वर्ष बेटियों के जन्म पर 111 पौधे लगाए जाते हैं और वह परिवार पौधे से पेड़ बनने तक उसका देखभाल करते हैं. वहीं बेटियां यहां पेड़ पौधों को राखियां बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है.