रणथंभौर में जमीनी पेंच आया सामने, लैंड यूज कन्वर्जन को मंजूरी मिलने पर मचा बवाल
सवाई माधोपुर के बाघों की अठखेलियों को लेकर विश्व प्रसिद्ध सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में पार्क की बाउंड्री वाल से 500 मीटर के दायरे में वन विभाग के जरिए बेशकीमती 5.67 हैक्टेयर भूमि के लैंड यूज कन्वर्जन को मंजूरी देने का मामला सामने आया है .
SawaiMadohpur : सवाई माधोपुर के बाघों की अठखेलियों को लेकर विश्व प्रसिद्ध सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में पार्क की बाउंड्री वाल से 500 मीटर के दायरे में वन विभाग के जरिए बेशकीमती 5.67 हैक्टेयर भूमि के लैंड यूज कन्वर्जन को मंजूरी देने का मामला सामने आया है . पिछली 20 सितंबर को यूआईटी को भेजी गई एक एनओसी में बताया गया कि सरिस्का की तरह रणथंभौर में भी लैंड यूज चेंज की रोक व्यावसायिक एंव औद्योगिक गतिविधियों पर ही लागू होगी. और निजी आवासीय उपयोग के लिए कोई रोक नहीं है .
ऐसे में रणथंभौर में एक मामले में लैंड कन्वर्जन की छूट मिलते ही ऐसे दर्जनभर मामलों के आवेदन सामने आ गए. मामले को लेकर जैसे ही बवाल बढ़ा तो वैसे ही मुख्यमंत्री सलाहकार एंव सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार ने इस मामले पर आपत्ति दर्ज कराई. मामला बढ़ता देख एंव विधायक की आपत्ति के बाद वन विभाग को लैंड कन्वर्जन की एनओसी वापस विड्रा करनी पड़ी. लेकिन वन विभाग की इस हरकत ने रणथंभौर में एक नया विवाद पैदा कर दिया .
बड़ी बात ये है कि लैंड कन्वर्जन को मंजूरी एंव फिर उसे वापस रद्द करने के दोनों आदेश रणथंभौर के डीएफओ संग्राम सिंह द्वारा महज एक माह के भीतर ही जारी किए गए है. मामले को लेकर डीएफओ का कहना है कि विभाग से मिले मार्गदर्शन में उन्हें सरिस्का का रेफरेंस मिला था , उन्हीं नियमों के तहत लैंड कन्वर्जन जारी किया गया था ,मगर जब मामला क्लियर हुआ तो लैंड कन्वर्जन की एनओसी वापस विड्रा कर ली गई. एनओसी विड्रा करने के आदेश से पूर्व रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर से लेकर वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और हॉफ़ तक इस प्रक्रिया के हिस्सा बने थे .
गौरतलब है कि लैंड कन्वर्जन मामलों पर राज्य सरकार ने मार्च 2015 में रणथंभौर सहित सरिस्का , जवाई और कुंभलगढ़ अभ्यारण में रोक लगाई थी , वही 12 अक्टूबर 2021 को सरिस्का संबंधी एक प्रकरण में ये कहते हुए छूट दी गई थी कि यहां लैंड यूज चेंज पर रोक निजी आवास के लिए लागू नहीं रहेगा ,रणथंभौर में लैंड कन्वर्जन में इसी को आधार बनाया गया था.
आखिर में सवाल यह उठता है कि प्रदेश के सभी अभ्यारण में एक जैसे नियम क्यों नहीं है ,यदि सरिस्का में छूट सही है तो रणथंभौर में यह छूट कैसे गलत हो सकती है . यदि रणथंभौर में छूट नहीं दी जा सकती तो फिर सरिस्का में पाबंदी क्यों नहीं है. वन विभाग के अधिकारी बडी हस्तियों को फायदा पहुंचाने के लिए अपने हिसाब से नियमों को तोड़ मरोड़ कर पेस कर देते है. जबकि आम आदमी इन्ही नियमो में उलझकर वन विभाग केचक्कर काटता रहता है. मामले को लेकर सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार का कहना है कि वन विभाग ने लैंड कन्वर्जन की छूट दी है ये सही है, पर केवल एक ही मामले पर यह छूट क्यों दी गई, यह छूट पूरे रणथंभौर पर लागू होनी चाहिए.
Reporter: Arvind Singh
खबरें और भी हैं...
EWS रिजर्वेशन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 10 फीसदी आरक्षण रहेगा बरकरार