बामनवास: मातमी धुन पर निकाले गए ताजिए, हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर हिंदू व्यापारियों ने दी श्रद्धांजलि
बौंली कस्बा एक बार फिर सांप्रदायिक सौहार्द का गवाह बना और उपखंड मुख्यालय बौंली पर मुहर्रम के अवसर पर मातमी धुनों के साथ ताजिए निकाले गए.
Bamanwas: बौंली कस्बा एक बार फिर सांप्रदायिक सौहार्द का गवाह बना. उपखंड मुख्यालय बौंली पर मुहर्रम के अवसर पर मातमी धुनों के साथ ताजिए निकाले गए. मुख्य बाजार में हिंदू व्यापारियों ने अगरबत्ती प्रसाद और राशि भेंट कर हजरत इमाम हुसैन की शहादत को नमन किया और हिंदू-मुस्लिम एकता का परिचय दिया. कोरोना के चलते 3 वर्षों के बाद उपखंड मुख्यालय बौंली पर ताजिए निकाले गए.
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इमामबाड़ा से रवाना होकर निर्धारित मार्गों से होते हुए ताजिए कर्बला मैदान पहुंचे, जहां ताजिया को दफनाया गया. मुहर्रम कमेटी के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अखाड़ेबाजो ने हैरतअंगेज करतब दिखाए साथ ही ढ़ोल तासा के उस्तादों ने मातमी धुन बजाते हुए मुहर्रम में सहभागिता निभाई. कमेटी द्वारा ढोल तासा के उस्तादों की दस्तारबंदी कर उनका स्वागत किया गया.
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एएसपी सुरेश कुमार खींची, सीओ तेजकुमार पाठक और एसएचओ श्रीकिशन मीणा के नेतृत्व में बौंली थाना पुलिस और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहा. एसडीएम बद्रीनारायण मीणा और तहसीलदार राजेश मीणा भी शांति व्यवस्था को लेकर बराबर मॉनिटरिंग करते नजर आए. मोहर्रम में शरीक हुए लोगों का विभिन्न स्थानों पर पेय पदार्थ पिलाकर स्वागत किया गया. 3 वर्षों बाद आयोजित कार्यक्रम को लेकर मोहर्रम कमेटी के युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिला.
जानकारी के अनुसार मुहर्रम पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. मोहर्रम की दसवीं तारीख को आशूरा कहा जाता है कि इसी दिन इमाम हुसैन को इराक के कर्बला के मैदान में उस वक्त के शासकीय यजीद के फौजियों ने शहीद कर दिया था, जिन के गम में ताजिए निकालने की परंपरा है.
Reporter: Arvind Singh