सवाई माधोपुर में ओलावृष्टि और बारिश के बाद तबाही का मंजर, फसलें देख रो पड़े किसान
राजस्थान में सवाई माधोपुर के बामनवास विधानसभा क्षेत्र में ओलावृष्टि और बारिश के बाद तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है. आलम यह है कि खेतों में बारिश का पानी भर चुका है. मसलन कटी हुई फसलें जलभराव में तैरती हुई नजर आ रही है.
Bamanwas, Sawai Madhopur News: बामनवास विधानसभा क्षेत्र में ओलावृष्टि और बारिश के बाद तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है. आलम यह है कि खेतों में बारिश का पानी भर चुका है. मसलन कटी हुई फसलें जलभराव में तैरती हुई नजर आ रही है.
जलभराव में फसलों के साथ किसानों की उम्मीदें भी डूब गई है. तहसीलदार बृजेश मीणा के मुताबिक बौंली में 36 एमएम, बामनवास में 12 एमएम, बरनाला में 13 एमएम और आतरी क्षेत्र में 16 एमएम बारिश विगत 24 घंटे में दर्ज की गई है.
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बामनवास उपखंड के बरनाला, बेराडा, पिपलाई, रिवाली सहित आतरी क्षेत्र में भारी ओलावृष्टि से गेहूं की फसलों में 95 फ़ीसदी तक का नुकसान बताया जा रहा है.वहीं उपखंड बौली के मित्रपुरा, कोड्याई, पीपल्दा, बडागांव, हिंदूपुरा सहित कई गांव में भारी बारिश के चलते गेहूं की फसलें खेतों में आडी पड़ गई हैं. सरसों की कटी हुई फसलों में भी भारी नुकसान बताया जा रहा है. वहीं चने की फसलों पर भी बारिश और ओलावृष्टि का बेहद प्रतिकूल असर देखा गया है.
सरकारी मुआवजे पर टिकी किसानों की उम्मीदें
बर्बाद फसलों को देखकर धरतीपुत्रों का रुदन नहीं थम रहा है. किसानों की वर्ष भर की मेहनत विगत तीन-चार दिनों से हो रही बारिश में धूमिल हो चुकी हैं. वर्तमान में भी आसमानी बूंदें किसानों पर कहर बनकर बरस रही है. क्षेत्र में अभी तक गिरदावरी न होने से किसान नेताओं में भी आक्रोश देखा जा रहा है. किसानों की उम्मीदें अब केवल सरकारी मुआवजे पर टिकी हुई हैं. रनिंग सेशन में अच्छे मानसून के बाद सरसों, गेहूं और चने की बंपर पैदावार की उम्मीद थी.
3 दिन पूर्व तक कटी हुई फसलों को देखकर किसान उत्साहित थे लेकिन विगत 3 दिनों में कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया की थ्रेसिंग से पहले ही कटी हुई फसलें बारिश और ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गई. सर्वाधिक नुकसान गेहूं की कटी हुई फसलों में बताया जा रहा है.
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बामनवास के चांदनहोली गांव में खेतों की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं, जहां खेतों में भरे हुए पानी पर किसानों की उम्मीद की फसलें तैरती हुई नजर आ रही हैं. बहरहाल क्षेत्र के किसानों को उम्मीद है कि प्रशासन द्वारा फसल खराबे की उचित गिरदावरी की जाएगी. वहीं सरकार द्वारा वास्तविक मुआवजा देकर उनके जख्मों पर मलहम लगाया जाएगा.