Sawai madhopur: राईट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी चिकित्सकों का आंदोलन लगातार जारी है ,इसी कड़ी में आज सवाई माधोपुर जिला अस्पताल के सरकारी चिकित्सक भी निजी चिकित्सकों के समर्थन में उतर आए. जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने आज दो घण्टे कार्य बहिष्कार कर राईट टू हेल्थ बिल का विरोध कर निजी चिकित्सकों की मांगों का समर्थन किया.


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राईट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी चिकित्सकों का आंदोलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है ,एक ओर जहाँ सरकार झुकने को तैयार नही है वही निजी चिकित्सकों के समर्थन में अब सरकारी चिकित्सक भी उतर आए है ,सरकारी चिकित्सको ने आज निजी चिकित्सकों के समर्थन में उतरते हुवे दो घंटे कार्य बहिष्कार किया. ऐसे में मरीजों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ा , हालांकि पीएमओ द्वारा व्यवस्थाओं के लिए कुछ रेजिडेंट चिकित्सकों को लगाया गया ,ताकि मरीजों को परेशानी नही हो ,फिर भी मरीज उपचार के लिए यहां वहां भटकते दिखाई दिए. 


पीएमओ का कहना है कि निजी चिकित्सकों की हड़ताल के बाद निजी चिकित्सा संस्थानों के बंद होने से जिला अस्पताल पर मरीजों का भार बढ़ा है. जिला अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी 2800 से 3000 चल रही है वहीं आईपीडी में भी बढ़ोतरी हुई है ,पीएमओ का कहना है कि अगर कुछ दिन ओर हड़ताल चली तो चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जायेगी और 300 बेड के जिला अस्पताल में भी मरीजों के लिए जगह नही बचेगी ,ऐसे में मरीजों के साथ ही सरकारी चिकित्सकों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.


जिला अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा दो घंटे का कार्य बहिस्कार एंव निजी चिकित्सकों की हड़ताल के चलते मरीज खासा परेशान है ,मरीजों का कहना है ,निजी चिकित्सकों की हड़ताल के चलते सभी निजी अस्पताल बंद है और जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ इस कदर बढ़ गई है कि उपचार के लिए मरीजों को कई घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है. मरीजों का कहना है कि सरकार को निजी चिकित्सकों मांगो पर ध्यान देना चाहिए ताकि मरीजों को परेशानी नही उठानी पड़े. मरीजों का कहना है कि सरकार और चिकित्सकों के बीच मरीज परेशान हो रहे है.


निजी चिकित्सकों के आंदोलन के चलते अब चिकित्सा व्यवस्था चरमराने लगी है. निजी अस्पताल बंद होने से जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ इस कदर बढ़ गई कि जिला अस्पताल में भी अब मरीजों को समय पर उपचार नही मिल पा रहा ,वही सरकारी चिकित्सकों द्वारा किया गया दो घंटे का कार्य बहिष्कार मरीजों के लिए परेशानी का सबब रहा ,ऐसे में अगर सरकारी चिकित्सक निजी चिकित्सकों के समर्थन में उतर आए और हड़ताल पर चले गए तो चिकित्सा व्यवस्था का क्या होगा और सरकार किस तरह के कदम उठाएगी.