Sawai Madhopur: होलिका दहन अर्थात होली के बाद आने वाली सप्तमी को शीतला सप्तमी के नाम से जाना जाता है. हिंदू परंपरा के अनुसार इस दिन शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाता है. साथ ही मंदिर के बाहर खेत बनाकर उसमें भी पूजा अर्चना करके अच्छी फसल पैदा होने की कामना की जाती है. 


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आज शीतला सप्तमी के चलते अलसुबह से ही महिलाएं सोलह सिंगार करके आईएचएस कॉलोनी स्थित शीतला माता मंदिर में पहुंच रही हैं. सैकड़ों की संख्या में महिलाएं अपने हाथों में पूजा की थाली एवं जल का कलश लेकर मंदिर पहुंचकर शीतला माता की विशेष पूजा अर्चना करके उनको ठंडे पकवानों का भोग लगाया. साथ ही मंदिर के बाहर खेत बनाकर महिलाएं उसकी भी पूजा-अर्चना करती हैं.


शीतला माता मंदिर पार्क में जगह-जगह समूह बनाकर महिलाएं पूजा अर्चना कर रही हैं. साथ ही शीतला सप्तमी से जुड़ी हुई कहानियां एक दूसरे को सुनाकर पूरा विधि-विधान से शीतला माता एवं अपने खेतों की पूजा अर्चना कर रही है. पूजा करने आई महिलाओं के अनुसार हिंदू परंपरा में शीतला सप्तमी का विशेष महत्व है. शीतला सप्तमी होलिका दहन से उत्पन्न होने वाली गर्मी को शीतल करने के लिए मनाया जाता है. साथ ही इस दिन शीतला माता को विशेष प्रकार के ठंडे व्यंजन से पूजा अर्चना की जाती है. महिलाओं ने यह भी बताया कि यह त्यौहार घर परिवार में सुख शांति के साथ साथ बच्चों की दीर्घायु से भी जुड़ा हुआ है.


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ऋतु परिवर्तन से भी जुड़ा है शीतला सप्तमी का पर्व
शीतला सप्तमी का धार्मिक कथा के अनुसार ऋतु परिवर्तन से भी जुड़ा हुआ है. आने वाली गर्मी में शीतलता बनी रहे इसके लिए भी ऋतु परिवर्तन के नाम से इस दिन में विशेष पूजा अर्चना करने का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मध्यरात्रि के बाद से ही महिलाएं लगातार मंदिर पहुंच रही हैं और हजारों की संख्या में महिलाओं ने शीतला माता की पूजा अर्चना करने के बाद होलिका दहन की जगह को भी जल से शीतल किया. यह सिलसिला अनवरत जारी है और कुछ घंटों तक और चलता रहेगा. पूजा अर्चना के बाद छोटी बहू अपनी सास एवं उम्र में बड़ी अन्य महिलाओं के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद भी लेती है. वहीं, महिलाएं समूह में बैठकर अपनी से उम्र में छोटी महिलाओं को शीतला माता और गणेश जी की कहानियां सुनाकर भी इस त्योहार का विशेष महत्व बताती हुई नजर आ रही हैं.
Report- Arvind Singh