हार नहीं मानने की जबरदस्त कहानी, सीकर के लाडले ने गोल्ड जीतकर देश का नाम किया रोशन
सीकर पिपराली इलाके के चैनपुरा दादली गांव के लाडले एथलीट अमित ने लोगों के तानों की परवाह किए बिना हाल ही में भारत के लिए इंटरनेशनल खेलों में गोल्ड मेडल जीत कर सीकर ज्जिले का नाम रोशन किया है. धावक अमित के संघर्ष की यह कहानी बेहद रोचक है.
Sikar: सीकर पिपराली इलाके के चैनपुरा दादली गांव के लाडले एथलीट अमित ने लोगों के तानों की परवाह किए बिना हाल ही में भारत के लिए इंटरनेशनल खेलों में गोल्ड मेडल जीत कर सीकर ज्जिले का नाम रोशन किया है. धावक अमित के संघर्ष की यह कहानी बेहद रोचक है. अमित अपने गांव से 4 किलोमीटर दूर जाकर प्रैक्टिस करता था, जब अमित दौड़ता तो गांव के लोग उसे ताना भी मारते, लेकिन इसके बाद भी अमित ने हार नहीं मानी और लगातार अपनी मेहनत में जुटा रहा और मेहनत के बूते पर सफलता हासिल की.
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इंटरनेशनल खेलों में मेडल जीतने वाले एथलीट अमित योगी ने बताया कि वह सीकर के पिपराली इलाके के चैनपुरा दादली गांव के रहने वाले है. बचपन से ही उन्हें दौड़ का शौक था. इसके साथ ही एक बार जब छोटा था तब टीवी पर मिल्खा सिंह का इंटरव्यू देखा, जिससे वह प्रेरित हुआ और प्रैक्टिस शुरू की. खिलाड़ी अमित ने बताया कि गांव में उनके कोई भी स्टेडियम नहीं है. ऐसे में वह तैयारी करने के लिए नजदीक गांव करीब 4 किलोमीटर दूर पिपराली में जाता था. जब यहां पर दौड़ लगाते हैं तो उन्हें लोग कहते हैं कि दौड़ लगाकर क्या तु मिल्खा बनेगा, लेकिन अमित ने कभी भी हार नहीं मानी. और लगातार प्रैक्टिस करता रहा.
अमित ने बताया कि शुरुआत में स्टेट लेवल पर खेला. इसके बाद नेशनल और इंटरनेशनल भी खेला, जब वह भोपाल में नेशनल गेम्स खेल कर आया उस दौरान एक बार खेल को छोड़ने का मन हो गया, लेकिन एक दोस्त ने अमित को राय दी कि वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करें और खेल को जारी रखने के लिए प्रेरित किया जिसके बूते और हौंसलों और कड़ी मेहनत के आधार पर अमित ने हाल ही में 8 मई को नेपाल में हुए गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया. अमित ने बताया कि जुनून को देखते हुए अब गांव के सरपंच ने भी गांव में स्टेडियम बनाने की कवायद शुरू कर दी है.
अमित ने बताया कि आगे मेरा लक्ष्य यह है कि मैं ओलंपिक खेलों में भारत के लिए गोल्ड मेडल लाऊ और सरकार से मेरी मांग है कि हरियाणा में जैसे सरकार बच्चों को खेलों के लिए मदद करती है और वहां की कंपनियां भी बच्चों को मदद करती है उसी तरह मैं चाहूंगा कि राजस्थान में भी सरकार और कंपनियां बच्चों को सपोर्ट करें जो नीचे के स्तर पर खेलते हैं, बच्चे उनको भी सपोर्ट करें जिससे उनको आगे खेलने के लिए मदद मिले और वह खेलें ओर बच्चों के लिए यह संदेश है कि वह खेलते ले रहे तो उनको सब कुछ मिलता रहेगा.
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अमित की माता विमला ने बताया कि उनके एक बेटा और एक बेटी है. शुरू में जब बेटा अमित प्रैक्टिस करता तब गांव के लोग विमला को खूब उलाहना देते कि खिलाड़ी बना कर क्या करेगी, लेकिन विमला ने अपने बेटे की प्रैक्टिस में पूरी मदद की, जिसके बाद वह इंटरनेशनल खेल पाया है. विमला ने बताया कि बेटे की इस उपलब्धि से वह बेहद खुश है.
Report- Ashok Singh Shekhawat