Sikar News: मन में प्राणीमात्र की सेवा का भाव हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. ऐसी ही एक 95 साल की बुजुर्ग सुमित्रा शर्मा पिछले करीब 35 सालों से हजारों निराश्रित बच्चों की मां बनकर उनका पालन पोषण कर जीवन सवार रही है. 


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हरियाणा के रोहतक में जन्मी और पाकिस्तान के करांची में पली बढ़ी बुजुर्ग सुमित्रा शर्मा कस्तूरबा गांधी के जीवन से प्रेरित होकर सीकर शहर के नजदीकी भदवासी गांव में कस्तूरबा सेवा संस्थान का संचालन कर रही है. 


संस्थान में अब तक ढाई हजार से ज्यादा दिव्यांग व निराश्रित बच्चों की मां बन सुमित्रा शर्मा उनका पालन पोषण कर ऊंचे मुकाम तक पहुंच चुकी हैं, जिनमें से कई चिकित्सक, अध्यापक, इंजीनियर, सीए, व सरकारी उच्च पदों पर नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने अब तक सात बेटियों की शादी भी करवाई है. 


वर्तमान में सुमित्रा देवी के कस्तूरबा सेवा संस्थान में 52 बच्चों का पालन पोषण हो रहा है और करीब 17 लोगों का स्टाफ उनके सहयोग के लिए लगा हुआ है. संस्थान में रहने वाले बच्चे व स्टाफ सुमित्रा शर्मा को मां कहकर ही संबोधित करते हैं. 


बुजुर्ग महिला सुमित्रा शर्मा ने बताया कि संस्थान का संचालन करने के लिए सरकार की ओर से कुछ अनुदान मिलता है और अधिकतर भामाशाह वह आमजन कपूर सहयोग रहता है. इसके अलावा उनके दो बेटे हैं, जिनमें से एक डॉक्टर व दूसरा सीए है. वह भी हर माह 10-10 हजार रुपये भेजते हैं.


सुमित्रा शर्मा ने बताया कि दो बार उन्हें हार्ट अटैक आ चुका है और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता, जिसके चलते अब उन्होंने अपनी बेटी और दामाद को भी यही संस्थान में सहयोग के लिए बुला लिया है. पशु चिकित्सा के पद से सेवानिवृत होने के बाद उनके दामाद व बेटी भी कस्तूरबा सेवा संस्थान में रहकर ही बच्चों के पालन पोषण में सहयोग कर रहे हैं. 


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